संतासिंह और बंतासिंह दोनों बहुत बडे दुश्मन थे।
ये दोनों एक ही बिल्डिंग में रहते थे।
बंतासिंह सातवें माले पर रहता था और संतासिंह पहले।
एक बार बिल्डिंग की लिफ्ट खराब हो गई।
बंतासिंह ने सोचा कि आज संता को सबक सिखाया जाए।
उसने संतासिंह को फोन करके खाने पर बुलाया।
बेचारा संतासिंह जैसे-तैसे सातवें माले पर पहुंचा और वहां जाकर देखा कि दरवाजे पर ताला लगा है और लिखा था कि कैसा उल्लू बनाया।
संतासिंह को ये देखकर बहुत गुस्सा आया।
उसने उस नोट के नीचे लिखा- मैं तो यहां आया ही नहीं था।