परिश्रम का फल

किसान और उसके चार पुत्र

एक किसान था। उसे चार पुत्र थे।

सब –सब आलसी थे।

किसान को बहुत चिऩ्ता बना रहता था कि मेरा कोई भी पुत्र कामयाब नहीं हैं।

उसे कैसे शिक्षा दी जाय, जिससे की जीवन में सफलता प्राप्त कर सके।

किसान बुढा हो चला थ।

एख दिन किसान ज्य़ादा बीमार पङ गया।

उन्हें बचने की कम उम्मीद रह रहा था।

उसने अपने चारो बेटे को बुलवाया और कहा –बाग वाले खेत में मैं ने एक बडा कलश में करीब दस लाख रूपये किसी जगह जमीनमें गाड दिया है।

किसान के इतना कहते ही उनका अन्तीम साँस छुट गया।

चारों भाई ने सोचा कि पहले पिता जी का दाहसंकार कर दिया जाय।

तब खेत के जमीन खोदेंगे।ऐसा ही सोच के अनुसार किया । पूरे खेत को खोद डाला ।

रूपये तो एक भी न मिला परन्तु जब खेत में बोआई किये तो फसल अच्छी लगी और अऩ्न काफी उपजा।

सभी भाई काफी खुश थे ।