सुई देने वाला पेड़ की कहानी

एक जंगल के पास दो भाई रहा करते थे. बड़ा भाई बहुत शरारती था. वह छोटे भाई के साथ बहुत ही खराब व्यवहार करता था. कभी छोटे भाई के हिस्से का सारा खाना खा जाता था. तो कभी छोटे भाई के नए कपड़े खुद पहन लेता था.

एक दिन बड़े भाई ने तय किया की वो पास के जंगल से कुछ लकड़ियाँ लायेगा. जिन्हे बाजार में बेचकर उसे पैसे मिलेंगे.

जैसे ही वह जंगल में गया तो उसने बहुत पेड़ काटे. पेड़ काटते-काटते वह एक जादूई पेड़ से टकरा गया.

उसने पेड़ से लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी चलाई. तभी उस पेड़ ने कहा, अरे भाई, कृपया मेरी शाखाओं को मत काटो. अगर तुम इन्हे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हे सोने का सेब दुंगा.

बड़ा भाई पेड़ की बात सुनकर सहमत हो गया, मगर उसके मन में लालच आ गया. उसने पेड़ को धमकाया और कहा मुझे ज्यादा सोने के सेब चाहिए नही तो मैं तुम्हे धड़ से काट दुंगा.

बड़े भाई की इन बातों को सुनकर पेड़ ने सेब देने के बजाए उसके ऊपर सुईयों की बौछार कर दी. सुईयाँ उसके शरीर में चुभने लगी और वह दर्द के मारे जमीन पर गिरकर चीखने लगा.

धीरे-धीरे दिन ढल गया तो छोटे भाई को अपने बड़े भाई चिंता हुई. इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल चला गया. कुछ देर ढूँढ़ने के बाद उसे बड़ा भाई जादूई पेड़ के नीचे दर्द में पड़ा हुआ मिला. जिसके शरीर पर सैकड़ों सुई चुभी थी. उसके मन में दया आई, उसने अपने बड़े भाई के शरीर में चुभी सुईयाँ निकाल दी.

ये सभी चीज़ें बड़ा भाई देख रहा था और उसे अपने पर गुस्सा आ रहा था. अब बड़े भाई ने उसके साथ बुरा बर्ताव करने के लिए छोटे भाई से माफी मांगी और दुबारा ऐसा नही करने का वादा किया.

जादूई पेड़ ने बड़े भाई के दिल में आए बदलाव को देखा और उसने खुश होकर दोनों भाईयों को खूब सारे सोने के सेब दे दिए.