एक चील का अंडा किसी तरह एक जंगल मुर्गी के घोंसले में चला गया और बाकि अंडों के साथ मिल गया।
समय आने पर अंडा फूटा। चील का बच्चा अंडे से निकलने के बाद यह सोचता हुआ बड़ा हुआ कि वह मुर्गी है।
उन्हीं कामों को करता, जिन्हें मुर्गी करती थी। वह जमीन खोद कर अनाज के दाने चुगता और मुर्गी की तरह ही कुड़कुड़ाता।
वह कुछ फीट से अधिक उड़ान नहीं भरता था, क्योंकि मुर्गी भी ऐसा ही करती थी। एक दिन उसने आकाश में एक चील को बड़ी शान से उड़ते हुए देखा।
उसने मुर्गी से पूछा, उस सुंदर चिड़िया का नाम क्या है ?
मुर्गी ने जवाब दिया, वह चील है। वह एक शानदार चिड़िया है, लेकिन तुम उड़न नहीं भर सकते क्योंकि तुम तो मुर्गी हो।
चील के बच्चे ने बिना सोचे-विचारे मुर्गी की बात मान लिया। वह मुर्गी को जिंदगी जीता हुआ ही मर गया।
सोचने की क्षमता न होने के कारण वह अपनी विरासत को खो बैठा। उसका कितना बड़ा नुकसान हुआ।
वह जितने के लिए पैदा हुआ था, पर वह दिमागी रूप से हार के लिए तैयार हुआ था।