हाथी और उसके दोस्त

बहुत समय पहले की बात है।

एक अकेला हाथी घूमते-घूमते एक अजीब जंगल में आ पहुँचा।

यह जंगल उसके लिए नया था।

यहाँ उसका कोई दोस्त भी नही था। वह अपने दोस्त बनाने के लिए साथी ढूँढ रहा था।

उसने सबसे पहले एक बंदर से संपर्क किया और कहा, “नमस्ते, बंदर भैया! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे? ”

बंदर ने कहा, “तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते हो क्योंकि तुम बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता। ”

इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास गया और वही सवाल दोहराया।

खरगोश ने कहा, “तुम मेरे बिल में घुसने के लिए बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता। ”

फिर हाथी तालाब में रहने वाले मेंढक के पास गया और वही सवाल दोहराया।

मेंढ़क ने उसे जवाब दिया, “तुम मेरे जितनी ऊंची कूद के लिए बहुत भारी हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता। ”

इन तीनों की बात से हाथी सच में उदास था।

क्योंकि वह बहुत कोशिशों के बावजूद दोस्त नहीं बना सका।

फिर, एक दिन, सभी जानवर जंगल में इधर-उधर दौड़ रहे थे, ये देखकर हाथी ने दौड़ रहे एक भालू से पूछा कि तुम सभी इधर-उधर क्यों भाग रहे हों?

भालू ने कहा, “जंगल का शेर शिकार पर निकला है। वे खुद को उससे बचाने के लिए भाग रहे हैं। ”

भालू कि बात सुनकर हाथी शेर के पास गया और कहा, “कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट न पहुंचाओ।

कृपया उन्हें अकेला छोड़ दें। ”

शेर ने उसका मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा।

तभी हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया, जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग खड़ा हुआ।

अब बाकी सभी जानवर धीरे-धीरे बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर आनंदित होने लगे।

वे हाथी के पास गए और उससे कहा, “तुम्हारा आकार एकदम सही है हमारा दोस्त बनने के लिए!”

जानवरों की बात सुनकर हाथी मुस्कराया और अपने नए दोस्तों के साथ खेलने लगा।

कहानी की सीख

किसी व्यक्ति का आकार उसकी अहमियत नहीं बताता कोई भी व्यक्ति या वस्तु कभी भी हमारे काम आ सकती है, इसलिए, किसी का भी निरादर करने से बचे।