एक बार मेंढकों का एक दल पानी की तलाश में जंगल में घूम रहा था. अचानक, समूह से दो मेंढक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए.
दल के दूसरे मेंढक गड्ढे में अपने दोस्तों के लिए चिंतित थे. गड्ढा बहुत गहरा था, यह देखकर उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है.
वे लगातार उन्हें हतोत्साहित करते रहे क्योंकि दो मेंढक गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे. वो दोनों जितनी भी कोशिश करते लेकिन सफल नहीं हो पाते.
जल्द ही, दोनों मेंढकों में से एक ने दूसरे मेंढकों पर विश्वास करना शुरू कर दिया कि वे कभी भी गड्ढे से नहीं बच पाएंगे और अंततः हार मान लेने के बाद उसकी मृत्यु हो गई.
दूसरा मेंढक अपनी कोशिश जारी रखता है और आखिर में इतनी ऊंची छलांग लगाता है कि वह गड्ढे से बच निकलता है. अन्य मेंढक इस पर चौंक गए और आश्चर्य किया कि उसने यह कैसे किया.
अंतर यह था कि दूसरा मेंढक बहरा था और समूह का हतोत्साह नहीं सुन सकता था. उसने ये सोचा कि वे उसके इस कोशिश पर खुश हो रहे हैं और उसे कूदने के लिए उत्साहित कर रहे हैं!
कहानी की सीख
दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उसपर विश्वास करेंगे. इसलिए, बाहरी शक्तियों से खुद को कम से कम प्रभावित होने दें और स्वंय पर विश्वास करें.