लालची आदमी

एक बार एक छोटे से शहर में एक लालची आदमी रहता था।

वह बहुत ही धनी था।

इसके वाबजुद भी उसकी लालच का कोई अंत नहीं था।

उसे सोना और क़ीमती वस्तुएँ काफ़ी प्रिय थीं।

लेकिन एक बात ज़रूर थी वह अपनी बेटी को हर चीज से ज्यादा प्यार करता था।

एक दिन उसे एक परी दिखाई दी। जब वह उसके पास आया तो उसने देखा कि पेड़ की कुछ शाखाओं में परी के बाल फंस गए थे।

उसने उसकी मदद की और परी उन शाखाओं से आज़ाद हो गई। लेकिन उस लालची आदमी पर उसका लालच हावी हुआ,

उसने सोचा क्यों ना परी से मदद के बदले में इच्छा मांगी जाए। ताकि वह और अमीर बन सके।

आदमी ने परि से कहा तो परी उसकी बातें सुनकर, उसे एक इच्छा की पूर्ति करने का मौक़ा दिया।

ऐसे में उस लालची आदमी ने कहा, “जो कुछ मैं छूऊं वह सब सोना हो जाए। ”

परी ने ऐसा ही किया और उसकी इच्छा पूर्ण कर दी।

जब उसकी इच्छा पूर्ण हो गई।

तब वह लालची आदमी अपनी पत्नी और बेटी को अपनी इच्छा के बारे में बताने के लिए घर भागा।

उसने हर समय पत्थरों और कंकड़ को छूते हुए और उन्हें सोने में परिवर्तित होते देखा।

जिसे देखकर वह बहुत ही खुश भी हुआ।

घर पहुंचते ही उसकी बेटी उसका अभिवादन करने के लिए दौड़ी. जैसे ही वह उसे अपनी बाहों में लेने के लिए नीचे झुका, वह एक सोने की मूर्ति में बदल गई।

ये पूरी घटना अपने सामने देखते ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।

वह काफ़ी ज़ोर से रोने लगा और अपनी बेटी को वापस लाने की कोशिश करने लगा।

उसने परी को खोजने की काफ़ी कोशिश करी।

लेकिन, वह उसे कहीं पर भी नहीं मिली।

उसे अपनी मूर्खता का एहसास हुआ, लेकिन अब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।

कहानी की सीख

जरूरत से ज्यादा लालच पतन का कारण बनता है.