चींटी और हाथी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है।

एक जंगल में एक बार एक घमंडी हाथी था, जो हमेशा छोटे जानवरों को धमकाता था

और उनका जीवन कष्टदायक बनाता था.इसलिए सभी छोटे जानवर उससे परेशान थे।

एक बार की बात है।

वह अपने घर के पास के बनी चींटी की मांद के पास गया और चींटियों पर पानी छिड़क दिया।

ऐसा होने पर सभी चींटियाँ अपने आकार को लेकर रोने लगीं।

क्योंकि वह हाथी इनकी तुलना में काफ़ी बड़ा था।

इसलिए वह कुछ नहीं कर सकती थीं।

हाथी बस हँसा और चींटियों को धमकी दी कि वह उन्हें कुचल कर मार डालेगा।

ऐसे में चींटियाँ वहाँ से चुपचाप चली गयी।

फिर एक दिन, चींटियों ने एक सभा बुलाई और उन्होंने हाथी को सबक सिखाने का फैसला किया।

अपनी योजना के मुताबिक़ जब हाथी उनके पास आए तब वे सीधे हाथी की सूंड में जा घुसे और उसे काटने लगे।

अगले दिन फिर हाथी चींटियों की मांद के पास आया और पानी छिड़कने के लिए जैसे ही उसने शूंड़ नीचे किया चींटियां तुरंत अपनी योजना के अनुसार उसके शूंड में घुस गई।

और उसे काटने लगी।

अब हाथी केवल दर्द में कराह सकता था।

क्योंकि चींटियाँ इतनी छोटी थी कि उनका यह हाथी कुछ नहीं कर सकता था।

साथ में उसके शूँड के अंदर होने के वजह से वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था।

हाथी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने चींटियों और उन सभी जानवरों से माफी मांगी जिन्हें उसने धमकाया था।

उसकी ये पीड़ा देखकर चींटियों को भी दया आई और सारी चिंटियाँ शूंड़ से बाहर निकल आई।

कहानी की सीख

अपनी ताकत से कमजोरों को सताना नही चाहिए, बल्कि उनकी मदद करनी चाहिए।

अन्यथा किसी दिन ताकतवर को भी सबक जरूर मिलता है।