एक छोटी नदी में तीन मछलियाँ रहती थी। प्रत्येक मछली एक अलग रंग की थी।लाल, नीली और पीली। फिर भी ये तीनों मछलियाँ एक-दूसरे के साथ मिलझूल कर रहती थी।
एक दिन, नीली मछली किनारे के पास तैर रही थी और उसने मछुआरों की बातें सुनीं। “एक मछुआरा दूसरे से कह रहा था की, इस नदी में मछली पकड़ने का समय आ गया है।
नदी की मछलियाँ यहाँ बहुत भोजन के लिए तैरती होंगी! चलो कल मछली पकड़ने चलते हैं!”
चिंतित नीली मछली अपने अन्य दो दोस्तों के पास जल्दी से तैर कर गई।
उनके पास पहुँचकर उसने उन्हें कहा, “सुनो सुनो! मैंने अभी-अभी मछुआरों को बात करते हुए सुना है।
वे कल इस नदी में मछली पकड़ने की योजना बना रहे हैं। हमें कल नदी में की सुरक्षित रूप से तैरना चाहिए!”
इस बात पर लाल मछली ने कहा, “ओह, यह सब तो ठीक है! वे मुझे पकड़ नहीं पाएंगे क्योंकि मैं उनके लिए बहुत तेज हूं.इसके अलावा, हमारे पास वह सब खाना है जो हमें यहाँ चाहिए!”
लाल मछली की बात सुनकर, नीली मछली ने कहा, “लेकिन, हमें सिर्फ एक दिन के लिए यहाँ से कहीं सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिए!”
अब नीली मछली की बातें सुनकर, पीली मछली ने कहा, “मैं नीली मछली से सहमत हूं. माना की यह हमारा घर है, लेकिन हमें ज़रूर सुरक्षित रहने की जरूरत है!”
इन दोनों मछलियों ने, अपने दोस्तों को समझाने की कोशिश की लेकिन किसी ने भी उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया.
जैसे ही अगली सुबह हुई, मछुआरों ने अपना जाल डाला और जितनी हो सके उतनी मछलियाँ पकड़ लीं।
इनमें से कुछ हरे थे, कुछ नारंगी थे, कुछ सफेद थे, कुछ बहुरंगी थे और उनमें से एक लाल मछली भी थी!
इस बात पर मछुआरों ने आपस में बात की, “बेहतरिन पकड!” बहुत दिनों बाद इतनी मछलियाँ पकड़ में आई हैं।
दूर से इस घटना को दोनों दोस्त पीली मछली और नीली मछली देख रहे थे, उन्हें इस बात पर काफ़ी दुःख भी था कि उनके दोस्त “लाल मछली” को भी मछुआरों ने अपने जाल में पकड़ लिया था।
कहानी की सीख
हमें अपने दोस्तों की सही सलाह पर अम्ल करना चाहिए और अपने घमंड में नही रहना चाहिए।