टोपी बेचने वाला और बन्दर की कहानी

बहुत समय पहले की बात है।

पास के एक गाँव में एक टोपी बेचने वाला रहता था।

वह पास के गाँव में जाकर टोपी बेचता था।

एक बार की बात है, पास के गाँव में कुछ दिन टोपी बेचने के बाद, टोपी बेचने वाला अपने गाँव वापस जा रहा था।

वह अपने साथ बहुत सारी टोपियां ले जा रहा था।

खड़े रहने और कम सोने की वजह से वह काफ़ी थक गया था।

उसने सोचा की क्यूँ ना थोड़ी देर किसी पेड़ के नीचे आराम कर लूँ.

उसे सोने के लिए एक बड़ा पेड़ मिला।

उसने उस पेड़ को देखकर सोचा की क्यूँ ना इस पेड़ के नीचे थोड़ा आराम किया जाए।

मन ही मन उसने सोचा, “ओह, मैं अभी थोड़ी देर सोऊंगा और गाँव पहुँचने के लिए तेज़ी से चलूँगा!”

जल्द ही, टोपी बेचने वाला गहरी नींद में सो गया।

घंटों इस तरह से सोने के बाद, वह चौंक कर उठा।

वह उठा और देखा कि एक को छोड़कर उसकी सभी टोपियां गायब हैं।

“मेरी टोपी! मेरी टोपी! उन्हें कौन ले जा सकता था?” वह जोर से चिल्लाया।

तभी उसे पेड़ के ऊपर से किसी के चटकारे लेने की आवाज सुनाई दी! “आह, वे बंदर!” वह रोया।

उसे अब लगा की वह शायद ही इन टोपियों को उन बंदरों से वापस ला पाए.

अब वह मन ही मन उन टोपियों को वापस लाने की योजना बनाने लगा। उसने सोचा और उसे एक विचार आया!

उसने जमीन से टोपी उठाई और पहन ली।

उसे देख रहे बंदरों ने भी टोपियां पहन लीं! उसने अपनी टोपी उतार कर जमीन पर पटक दी।

उसकी इस हरकत को देखकर सब बन्दरों ने भी अपने सर से टोपी हटा दी और टोपियाँ भी नीचे फेंक दीं !

टोपीवाले ने झट से सारी टोपियाँ उठा लीं और तेजी से अपने गाँव की ओर चल दिया।

इस तरह टोपीवाले ने चालाकी से अपनी टोपियाँ वापस प्राप्त कर ली।

कहानी की सीख

अपने कार्यों को बुद्धिमानी से चुने ताकि आप बुरे समय से भी आसानी से बाहर आ पाएं।