हाथी और चूहा

बहुत समय पहले की बात है. एक बहुत ही पुराना भूकंप प्रभावित गाँव था।

जहां पर कोई भी इंसान नहीं रहा करते थे।

वहीं इन मनुष्यों द्वारा छोड़े गए इस भूकंप प्रभावित गाँव में चूहों की एक बस्ती ने अपना डेरा डाल लिया था।

गाँव के पास ही एक सरोवर था, जिसका उपयोग हाथियों के झुण्ड द्वारा किया जाता था।

हाथियों को झील तक जाने के लिए गांव पार करना पड़ता था। ये इन लोगों का दैनिक कार्य हुआ करता था।

एक दिन की बात है, जब वह हाथी का झुंड वहाँ से गुजर रहा था, तब उन्होंने अनजाने में ढेर सारे चूहों को रौंद डाला।

इस बात पर चूहों के बीच में ख़लबली मच गयी।

चूहों के नेता ने हाथियों से मुलाकात की और उनसे झील के लिए एक अलग रास्ता लेने का अनुरोध किया।

साथ में उसने उनसे वादा भी किया कि उनकी ज़रूरत के समय उनका पक्ष वापस किया जाएगा।

इस बात पर उस समय हाथी हँसे ।

उन्होंने आपस में बात करी की, इतने छोटे चूहे इन बड़े हाथियों की किसी भी तरह से मदद कैसे कर सकते थे ?

लेकिन फिर भी, उन्होंने अपना वादा निभाया और वे एक अलग रास्ता अपनाने पर सहमत हुए।

ऐसे कुछ दिन बीत गए, अब एक नयी घटना सामने आयी।

कुछ ही समय बाद चूहों ने सुना कि शिकारियों ने हाथियों के झुंड को पकड़ लिया है और उन्हें जाल में बांध दिया गया है।

ऐसा सुनते हैं वे तुरंत हाथियों को बचाने के लिए दौड़ पड़े।

उन्होंने अपने तीखे दांतों से जालों और रस्सियों को कुतर डाला।

हाथियों के नेता ने बार-बार चूहों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया! अब उन्हें समझ आ चुका था की किसी के आक़ार पर हंसना नहीं चाहिए।

कुदरत ने सभी प्राणियों को किसी न किसी कला से नवाज़ा है।

कहानी की सीख

मुसीबत में काम आने वाले मित्र ही असल मित्र होते हैं। इसलिए, आप भी अपने दोस्तों की आवश्यकता पड़ने पर जरूर मदद करें।