किसी जंगल में तीन छोटे सूअर रहते थे।
उनकी माँ अब इस दुनिया में नहीं रही थी।
वो तीनों एक-दूसरे के साथ एक छोटी सी जगह में रहा करते थे।
जब वो थोड़े बड़े हुए तो उनकी रहने की जगह छोटी पड़ने लगी।
अब तीनों छोटे सूअरों में से प्रत्येक ने अपना घर बनाने का फैसला किया।
पहले सुअर ने बिलकुल भी मेहनत नहीं की और पुआल का घर बना लिया।
वहीं दूसरे सुअर ने थोड़ी सी मेहनत की और लकड़ियों का इस्तेमाल कर अपने लिए घर बना लिया।
तीसरे सुअर ने थोड़ा सोचा और फिर बहुत मेहनत करने के बाद उसने अपने लिए सफलतापूर्वक एक ईंट-पत्थर का घर बनाया।
अब वो तीनों अपने-अपने घरों में आराम से रह रहे थे।
कुछ समय बीता और एक दिन, तीन छोटे सूअरों के घरों पर एक बड़ा बुरा भेड़िया ने हमला कर दिया।
उसके हमले से पहले दो छोटे सूअरों के घर (जो पुआल और लाठियों से बने थे) वह जल्द ही उखड़ गए और टूटकर फैल गए।
और भेड़िया दोनों ही सूअरों को खा गया।
थोड़ी देर बाद वह फिर गुर्राने लगा , लेकिन तीसरे छोटे सुअर के घर को नहीं उखाड़ सका, जो अपने घर में आराम से बैठा था।
उसने घर को तोड़ने की बहुत कोशिश करी लेकिन, वह अपनी कोशिश में सफल नहीं हुआ।
क्योंकि तीसरे सुअर का घर बहुत ही मज़बूत था। जो काफ़ी मेहनत के बाद बना था।
जल्द ही, बड़ा बुरा भेड़िया ने गहरी सांस ली और वह वहाँ से भाग गया।
कहानी की सीख
कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है। क्षणिक समाधान के बजाए भविष्य का सोचे और आलस ना करें।