किसान और कुआँ

(Short Moral Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक किसान रहता था।

वह बहुत मेहनत से अपने लिए अनाज उगाया करता था और उसे बेचकर अपना गुज़ारा किया करता था।

एक बार वो अपने खेत के लिए पानी के स्रोत की तलाश कर रहा था, तभी उसे अपने पड़ोसी का कुआं दिखाई दिया।

उसने उस पड़ोसी से वो कुआं ख़रीद लिया।

लेकिन वो पड़ोसी बहुत ही चालाक व्यक्ति था।

इसलिए अगले दिन जब किसान अपने कुएँ से पानी भरने आया तो पड़ोसी ने उसे पानी लेने से मना कर दिया।

जब किसान ने इसका कारण पूछा, तो पड़ोसी ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें कुआँ बेचा था, पानी नहीं।”

और वहां से चला गया।

पड़ोसी का जवाब सुनकर किसान व्याकुल हुआ और न्याय मांगने के लिए राजा के पास गया।

उसने अपनी पूरी बात राजा के सामने रखी।

राजा ने अपने नौ में से एक सबसे बुद्धिमान मंत्री “बीरबल” को बुलाया।

अब बीरबल ने पड़ोसी से प्रश्न किया, “तुम किसान को कुएँ से पानी लेने क्यों नहीं देते?

आख़िर तुमने किसान को कुआँ बेच दिया है?”

इस सवाल पर पड़ोसी ने जवाब दिया, “बीरबल जी, मैंने किसान को कुआँ तो बेचा था, लेकिन उसमें जो पानी है वो नहीं।

उसे कुएँ से पानी निकालने का कोई अधिकार नहीं है।”

अब बीरबल ने कुछ समय लिया इस परिस्तिथि का हल खोजने के लिए।

फिर कुछ समय सोचने के बाद बीरबल ने कहा, “देखो, चूंकि तुमने कुँआ बेच दिया है,

इसलिए तुम्हें किसान के कुएँ में पानी रखने का कोई अधिकार नहीं है।

या तो आप किसान को किराया दें, या फिर कुएँ से पूरा पानी तुरंत हटा लें।

यह महसूस करते हुए कि उसकी योजना विफल हो गई, पड़ोसी ने माफी मांगी और घर चला गया।

अब उस किसान को उसके हक़ का कुआँ प्राप्त हो गया और उसने न्याय करने के लिए बीरबल जी का धन्यवाद दिया।

कहानी की सीख

किसी को धोखा नही देना चाहिए। और धोखेबाजी का नतीजा जरूर भुगतना पड़ता है।