मुन्ना के तीन खरगोश

मुन्ना के पास तीन छोटे प्यारे-प्यारे खरगोश थे।

मुन्ना अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था।

वह स्कूल जाने से पहले पार्क से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था।

और फिर स्कूल जाता था।

स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक दिन की बात है मुन्ना को स्कूल के लिए देरी हो रही थी. वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया।

जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था।

मुन्ना ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला।

सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

मुन्ना उदास हो गया. रो-रोकर आंखें लाल हो गई।

मुन्ना अब पार्क में बैठ कर रोने लगा।

कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे, और खेल रहे थे।

मुन्ना को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी।

इसलिए यह पार्क में आए हैं।

मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं।

पर इनकी तो मां भी नहीं है।

उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

कहानी की सीख

जो दूसरों के दर्द समझता है और दुख छू भी नही पाता।