आम के पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी।
उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था।
जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे।
वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसलिए चिड़िया उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।
एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी।
तभी चिड़िया के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी।
बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर से की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे।
चिड़िया से अपने बच्चों का रोना अच्छा नहीं लग रहा था।
वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे।
इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।
चिड़िया सोच में पड़ गई, इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाएं।
मगर खाना नहीं आया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा।
काफी देर सोचने के बाद चिड़िया ने एक लंबी उड़ान भरी और किसान के घर पहुंच गई।
किसान के कुछ चावल और फल आंगन में ही रह गए थे।
चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया।
और झटपट वहां से उड़ आई।
घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया।
बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।
कहानी की सीख
इस दुनिया में मां की ममता का कोई सानी नहीं है।
अपनी जान विपत्ती में डालकर भी वह अपने बच्चों की भलाई में कार्य करती है।