अपनी गलती का पछतावा

एक किसान के पास पांच भैंस और एक गाय थी।

वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था।

उनके लिए दूर-दूर से हरी–हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता।

गाय-भैंस किसान की सेवा से खुश थी।

सुबह–शाम इतना दूध हो जाता कि किसान का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।

पूरे गांव में किसान के घर से दूध बिकने लगा।

अब किसान को काम करने में और भी मजा आ रहा था, क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।

कुछ दिनों से किसान परेशान होने लगा, क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी।

किसान जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता।

बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती।

किसान ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया, किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती।

एक दिन किसान ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोची।

जूट की बोरी का जाल बिछाया गया, जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।

अब क्या था किसान ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची.

बिल्ली इतना जोर–जोर से झपट रही थी कि किसान उसके नजदीक नहीं जा सका।

किंतु आज तो सबक सिखाना था, किसान ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।

देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा, बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।

बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।

पूरे गांव से आग लगी… आग लगी, बुझाओ… बुझाओ…

इस प्रकार की आवाज उठने लगी. बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।

किसान का घर भी नहीं बच पाया था।

अपने घर को जलता देख किसान सर पकड़कर बैठ गया और अपनी गलती का पछतावा करने लगा।

लेकिन, अब बहुत देर हो चुकी थी।

कहानी की सीख

आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है, साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं।