एक बंदर रोज एक आदमी के घर आता था और दंगा करता था।
कभी कपड़े फाड़ देता, कभी बर्तन ढोता, कभी बच्चों को पीटता।
उसने खाने-पीने की चीजें भी ले लीं, लेकिन उसके परिवार को कोई शिकायत नहीं थी।
लेकिन वे बंदरों से त्रस्त थे।
एक दिन घर के नौकर ने कहा, “मैं इस बंदर को पकड़ कर निकाल दूंगा।
सब चले गए. बंदर घर में आया. कुछ देर बाद वह कूद कर बाहर आया।
जब उसने दबे हुए सुरई (पतले मूँह वाला मटका) में छोले देखे तो वह वहीं बैठ गया।
चना निकालने के लिए उसने सुरई में हाथ डाला और एक मुट्ठी चना पकड़ लिया।
लेकिन, सुरई का मुंह पतला होने के कारण बंद मुट्ठी बाहर नहीं निकली।
इसके लिए उसने जोर से धक्का दिया और कूदने लगा।
लेकिन लालची बंदर ने हाथ के चने नहीं छोड़े।
इतनी देर में नौकर ने बंदर को रस्सी से बांधकर बाहर निकाला। लालची बंदर पकड़ा गया।
कहानी की सीख
लालच बुरी बला है।