पूसी का प्यार

रानू का स्कूल बंद हो गया है और अब उसकी गरमी की छुट्टियां चल रही हैं।

ऐसे में रानू का डेली रूटीन बिल्कुल बदल गया है।

वह अब सुबह देर से उठता है, पूरी दुपहरिया क्रिकेट खेलता है, शाम को पतंगबाजी करता है और देर रात तक टीवी देखता है।

और अगर कोई उसे इस बारे में टोकता है, तो वह तपाक से जवाब देता है, “कुछ ही दिनों की तो छुट्टियां हैं, तो जी लेने दो मुझे अपनी जिंदगी।”

उसका यह व्यवहार देखकर उसकी मम्मी काफी परेशान हो गईं। उन्होंने यह बात रानू के पापा को बताई और बोलीं, “आप इस लड़के पर ध्यान दीजिए, वरना स्कूल खुलने के बाद इसे दोबारा अनुशासन में लाना मुश्किल होगा।”

रानू के पापा उस वक्त कुछ नहीं बोले।

पर दूसरे दिन जब वह घर आए, तो उनके हाथ में एक प्यारा सा छोटा डॉगी था। उस वक्त टीवी के आगे जमकर बैठा हुआ रानू तुरंत टीवी छोड़कर पापा के पास आया और बोला,“ डैड, आप ये मेरे लिए लाए हैं न?”

रानू के पापा ने तुरंत डॉगी को गोद से उतारकर फर्श पर रखते हुए कहा, “हां, यह तुम्हारे लिए ही है, तुम्हारा नया साथी है यह।” डॉगी को देखकर रानू बहुत खुश था।

वह खुशी-खुशी उसके साथ खूब मजे से खेलने लगा। पर रानू की मम्मी ने उसके पापा से कहा, “इसे क्यों ले आए घर पर? वैसे ही कम बिगड़ा है आपका लाड़ला, जो उसे यह गिफ्ट दे रहे हैं।”

रानू के पापा ने इशारे से कहा, “बस! तुम अब देखना, कैसे मेरा लाड़ला फिर से पुराने रूटीन पर आ जाएगा।”

रात को जब सब लोग डिनर के लिए टेबल पर बैठे, तो रानू के पापा ने कहा, “तुमने अपने नए साथी का कुछ नाम रखा है क्या?”

रानू ने कहा, “डैड, मैं इसका नाम पूसी रखूंगा, क्योंकि इसकी भूरी आंखें मुझे गांव में दादाजी के घर में घूमने वाली पूसी कैट की याद दिला रही हैं।”

पूसी के प्रति यह प्यार देखकर पापा ने कहा, “आज से पूसी तुम्हारी जिम्मेदारी है।”

रानू भी खुशी-खुशी बोला, “ठीक है डैड, पर आप मुझे बता दीजिए कि मुझे करना क्या होगा?”

बस रानू के पापा की तो मुराद ही पूरी हो गई। उन्होंने कहा, “सबसे पहले तो सुबह 6 बजे उठकर इसे मॉर्निंग वॉक कराना। फिर नाश्ता कराकर इसके साथ मैदान में खेलने जाना। दोपहर में थोड़ी देर यह आराम करेगा, उस समय तुम भी आराम करना, क्योंकि जैसा तुम करोगे, वैसे ही यह करेगा। इसलिए घर के अंदर ज्यादा उछल-कूद मत करना, वरना यह भी ऐसा ही करेगा।

शाम को इसके साथ फुटबॉल खेलना और रात को इसे एक बार घुमाने जरूर ले जाना।”

पापा की बात खत्म भी नहीं हो पाई थी कि रानू बोल पड़ा, “डैड, मैं इंटरनेट से देखकर इसका डाइट चार्ट भी बना लूंगा।” फिर रानू अपने कमरे में जाते हुए बोला, “मम्मी, सुबह मुझे जल्दी उठा दीजिएगा, मुझे पूसी के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाना है।” सुबह जब रानू की मम्मी उसे उठाने उसके कमरे में गईं, तो रानू उनकी पहली ही आवाज में उठ गया।

ये देख,उसकी मम्मी वाकई चौंक गईं,क्योंकि रोज तो वह आलस्य में पड़ा रहता था।

आज तो उठकर फटाफट जूते पहनकर वह पूसी के साथ मॉर्निंग वॉक पर जाने के लिए तैयार हो गया था। पूरा दिन वह उसी रूटीन को फॉलो करता रहा, जो उसने अपने पापा के साथ डिस्कस किया था।

जब रात को डिनर के बाद मम्मी किचन साफ कर रही थीं, तभी रानू के पापा वहां आए और बोले, “अब तो तुम्हारा बेटा राजा बाबू बन गया है।”

मम्मी ने हां में हां मिलाते हुए कहा, “कभी-कभी हमें बच्चों को बेवजह डांटने के बजाए उनके बारे में सोचना चाहिए कि वे ऐसा कर रहे हैं, तो क्यों और फिर उसका समाधान निकालना चाहिए।

आपने समझदारी से रानू को एक अच्छी रूटीन में फिर ला दिया है।