कहते है प्यार अंधा होता है, लेकिन कभी कभी ये अंधा प्यार भी किसी गलत इंसान की आंखे खोल देता है।
असल में प्यार अंधा नहीं होता है प्यार करने वाले अंधे होते है, वो सामने वाले की गलतियां नजर अंदाज करते रहते है ये सोच कर कि शायद एक दिन सब ठीक हो जाएगा उनके बीच, और अपने रिश्ते को बचाने में लगे रहते है।
लेकिन बस रिश्ता रहे ये काफी नहीं होता उस रिश्ते में प्यार का होना सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
पूरी दुनिया से लड़ कर विनीता ने तन्मय से शादी की थी।
विनीता और तन्मय एक दूसरे से प्यार करते थे, उसने रिलेशन को 4 साल हो गए थे, फिर दोनों ने फैसला किया कि अब वो शादी कर लेंगे। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी घर वालो को मनाना।
तन्मय के घर पर बस उसकी मम्मी थी और एक छोटी बहन थी, तन्मय के पापा नहीं थे, तो उसके लिए थोड़ा आसान था अपनी मम्मी को मनाना।
लेकिन विनीता के घर वाले इतनी आसानी से नहीं मानने वाले थे।
विनीता ने हर कोशिश कर के देख लिया था लेकिन उसके घर वाले नहीं माने।
उसके घर वाले उससे परेशान हो कर ये कह दिया कि अगर तुझे उस से शादी करनी है तो करले लेकिन फिर कभी हमारे दरवाज़े पर नहीं आना।
उसने ये बात तन्मय को बताई थी, तन्मय ने कहा कि अगर तुम सच में मुझसे प्यार करती हो तो मै हमेशा तुम्हारे साथ हूं, हर परिस्थति में तुम्हारे साथ रहूंगा।
विनीता ने बहुत सोचा इस बारे में, उसने सोचा कि अगर वो तन्मय से शादी नहीं करती हूं तो कल को उसके घर वाले कहीं ना कहीं उसकी शादी कर ही देंगे लेकिन वो किसी और के साथ खुश नहीं रह पाएगी, क्युकी वो तन्मय से बहुत ज्यादा प्यार करती थी और उसके बिना वो रहने की सोच भी नहीं सकती थी, और अगर वो तन्मय से शादी कर लेती है तो कल को उसके घर वाले भी देखेंगे कि वो तन्मय के साथ कितनी खुश है तो शायद उसके घर वाले भी उनका रिश्ता मंजूर कर ले।
तो विनीता ने फैसला किया कि वो तन्मय से शादी करेगी और अपना घर छोड़ कर चली गई।
अब उनकी शादी को 1 साल हो गए है सब कुछ अच्छा चल रहा था।
फिर हुआ ऊ की तन्मय जिस इलेक्ट्रिकल कंपनी में काम करता था वो किसी कारण बंद हो गई और तन्मय की नौकरी चली गई।
इन सब के बाद उनके घर में बहुत मुश्किल वाले दिन चल रहे थे। तन्मय दूसरी नौकरी ढूंढ रहा था, लेकिन कहीं भी बात नहीं बन रही थी।
विनीता बेओटी पार्लर चलाती थी और उस से जो पैसे आते थे तो उसी से उनका घर चलता था। तन्मय बहुत ही परेशान रहने लगा वो रोज़ शाम को दारू पी कर घर आता था और घर में हंगामा करता था।
विनीता उसे कितना समझाती थी कि नहीं किया करो ऐसा सब ठीक हो जाएगा, तुम्हे जल्दी की नौकरी मिल जाएगी। लेकिन तन्मय उसे डाट कर दूर कर देता था।
ये सब से विनीता भी बहुत परेशान गई थी, की मै अपना सब कुछ छोड़ के तन्मयता शड़ी की और अब ये सब हो रहा है, उसे उसके मम्मी पापा की याद आने लगी, लेकिन वो उनसे बात भी नहीं कर सकती थी, खुद घर छोड़ कर जो आई थी।
1 महीना हो गया था कुछ ठीक नहीं हो रहा था, तन्मय रोज़ दारू पी कर आता और रोज घर में हंगामा करता, उसकी मां और बहन ने भी कितना समझाया उसे। विनीता भी अपने हिसाब से तन्मय के लिए नौकरी ढूंढ़ रही थी। एक बार एक बार विनीता ने तन्मय की नौकरी एक इलेक्ट्रिकल दुकान में लगवाई थी लेकिन उधर उसका मन नहीं लगा और 15 दिन में ही उधर से नौकरी छोड़ दिया।
उस सब के बाद भी विनीता तन्मय के साथ प्यार से पेश आती थी।
तन्मय पूरा दिन घर पर ही रहता था और विनीता पूरा दिन ब्यूटी पार्लर में काम करती थी, शाम को जब वो घर आती तो सबके लिए खाना बनाती और घर का काम करती थी।
तन्मय विनीता से ज्यादा बात भी नहीं करता था अब, विनीता से जो जितना होता वो वह सब कुछ करती थी। बहुत दिन बीत गए थे ऐसे ही इतने दिनों में तन्मय ने देखा था कि विनीता ने कभी भी उस से कोई शिकायत नहीं करती थी कभी बस चुप चाप पूरे घर का ध्यान रखती थी ये सब देख कर तन्मय को बहुत बुरा लग रहा था अब, उसने सोचा कि शादी के बाद उसने विनीता कोई खुशी नहीं दिया, उसके भी कुछ सपने होंगे अरमान होंगे, ये सब सोच कर।
एक दिन उसने विनीता से बोला कि मुझे कुछ रुपयों की जरूरत है क्या तुम दे सकती हो, विनीता ने तन्मय से कुछ नहीं पूछा और अपने बचाए हुए रुपए उसने तन्मय को दे दिया जो बीस हजार थे।
तन्मय अगले दिन कहीं घर से बाहर गया किसी को बिना बताए, वो लगातार कुछ दिनों तक रोज कहीं जाता था उसने घर पर किसी को नहीं बताया था कि वो कहा जाता है क्या करता है।
और कुछ दिनों बाद घर पर उसने कहा कि कल सब को मेरे साथ कहीं चलना है, विनीता बोली मै नहीं जा सकती ब्यूटी पार्लर जाना रहता है।
तन्मय ने बड़े प्यार से उसे कहा ही कल ब्यूटी पार्लर बंद रहेगा और तुम मेरे साथ चलोगी। विनीता बोली ठीक है।
अगले दिन तन्मय अपनी मम्मी बहन और पत्नी को ले कर एक दुकान पर गया, उधर उसने बताया कि उसने एक इलेक्ट्रॉनिक्स का छोटा सा स्टोर खोला था जिसमें अभी ज्यदा समान तो नहीं थे, लेकिन स्टोर की शुरुवात करने के लिए उतना सब काफी था, तो आज उस स्टोर का उद्धघाटन है इसीलिए मै आप लोगो को यह लेकर आया हूं।
तब विनीता को समझ गया कि तन्मय इतने दिनों से कहा जाता था क्या करता था, वो ये स्टोर के काम में लगा हुआ था।
फिर विनीता ने पूछा आपके पास इतने पैसे कहा से आए, तन्मय ने बताया कि बीस हजार उसने दिए थे बाकी उसने अपने कुछ दोस्तो से उधर लिया है, धीरे धीरे उन्हें लौटा देगा।
ये सब देख कर तन्मय की मम्मी, बहन और विनीता बहुत खुश हुए। विनीता को अच्छा लगा कि तन्मय अब बदल रहा है, अब वो परिवार की जिमेदरियो को समझ रहा है।
अब तन्मय और विनीता दोनों अपने अपने में अच्छा कर रहे थे और एक साल के अंदर ही तन्मय के स्टोर की बहुत तरक्की हूं फिर उसने सबका कर्ज लौटा दिया।
विनीता के प्यार ने तन्मय को पूरी तरह बदल दिया था और अब उनका परिवार एक सूखी और खुश परिवार था।
❤ प्यार या प्रेम एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का समावेश होता है!,प्रेम स्नेह से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर करता है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना जो सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। ❤