❤️ पहला प्यार

हर किसी को कभी ना कभी प्यार होता ही है, और केहते है पहला ।

प्यार भुलाए नहीं भूलता कोई, पहला प्यार वो होता है जो सबकी जिंदगी में एक नया एहसास लाता है, पहला प्यार जिंदगी के सबसे खूबसूरत पलो में से एक होता है। लेकिन बहुत कम ही ऐसे किस्मत वाले लोग होते है जिनका पहला प्यार ही अखरी प्यार हो।

ऐसी ही एक कहानी प्रीति और अमित की है।

प्रीति और अमित एक ही स्कूल में पढ़ते थे। अमित 10वीं में था और प्रीति 9वीं में थी। वो दोनो एक दुसरे को पसंद करते थे लेकिन कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई एक दूसरे को ये बोलने की, उन दोनों की आंखों में एक दूसरे के लिए प्यार साफ दिखता था। दोनों रोज़ स्कूल की असेम्बली के समय एक दूसरे को देखते थे और दोनों के चेहरे पर मुस्कान होती थी।

जब गार्मी की छुट्टियां चल रही थी और अमित को प्रीति की बहुत याद आ रही थी क्युकी अभी स्कूल भी बंद था और वो एक दूसरे को देख भी नही पाते थे और ना ही उनका घर कहीं एक दूसरे के आजू बाजू में था।

बहुत सोचते सोचते एक दिन अमित प्रीति को फेसबुक पर ढूंढने लागा, शायद उसका अकाउंट हो, स्कूल में उन दोनों ने कभी एक दूसरे से बात नही किया था, और ना ही कभी सोशल-मीडिया पर एक दूसरे को फॉलो करते थे, अब जो कि स्कूल बंद थे अमित खुद को रोक नहीं पाया, फेसबुक पर तो बहुत सी प्रीति नाम की लड़कियां मिली लेकिन जिस प्रीति को वो ढूंढ रहा था वो नहीं मिली। अमित बहुत उदास हो गया, वो बहुत बेचैन हो रहा था प्रीति को देखने के लिये, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, उधर प्रीती भी अमित को देखने के लिए स्कूल खुलने का इंतजार कर रही थी, प्रीति 9वीं कक्षा में थी तो उसके घर वालो न उसे फोन नही दिया था तो वो किसी भी सोशल-मीडिया पर नहीं थी।

स्कूल खुलने के लिये अभी 15 दिन बाकी था। वो दोनो एक दूसरे को देखने के लिए बेचैन थे।

आखिर 15 दिन बाद स्कूल खुल गया दोनों स्कूल जाने के लिये बहुत उतसुक थे, अमित स्कूल समय के 10 मिनट पहेले ही जाकर स्कूल गेट के बाहर खड़ा हो कर प्रीति का इंतजार कर रहा था, सब बच्चे एक एक कर के स्कूल आ रहे थे लेकिन प्रीति अभी तक उसे नहीं दिखी, गेट पर खड़े चौकीदार ने कहा कि अंदर जाओ अब गेट बंद होने वाला है।

आखिर अमित क्या करता वो अंदर चला गया और अपने क्लास में बैग रख कर प्रार्थना के लीये असेंबली में गया, वो बहुत उदास था की प्रीति क्यों नही आई, आज स्कूल का पेहला दिन है, क्या हुआ होगा उसे, अमित का ध्यान प्रार्थना में बिलकुल भी नहीं था ।

जब प्रार्थना ख़तम हुअा और सभी बच्चे अपने अपने क्लास में जाने लगे तभी अमित ने देखा की प्रीती अपने क्लास के लाइन में सबसे पीछे खड़ी थी तो वो समझ गया कि प्रीति लेट आई होगी, अमित उसे देख कर बहोत खुश हो गया, अमित उस से बात करना चाहता था, एक बार ऐसा हुआ की अमित और प्रीति की नजर मिली दोनो के चेहरे पर मुस्कुराहट थी, दोपहर में जब लंच टाइम हुआ तो अमित प्रीति से बात करने की कोशिश कर रहा था, इसी कारण उसने अपना टिफिन भी नहीं खाया था।

वो प्रीति के क्लास के बाहर ही चक्कर लगा रहा था की कब उसे मौका मिले प्रीति से बात करने का और वो उसे स्कूल के बाद रुकने के लिए बोल सके, तभी थोड़ी ही देर में प्रीति को क्लास से बाहर आते हुए देखा, वो अकेली थी, मौका देखते ही अमित ने प्रीति से कह दिया की स्कूल के बाद थोड़ी देर के लिये स्कूल के बाहर जो बस स्टॉप है वहा रुकना प्लीज! प्रीति उसे देख कर बोली ठीक है, और चली गई।

दोनों अपने क्लास में चले गए बस जल्दी से स्कूल का समय ख़तम होने का दोनों इंतजार कर रहे थे। प्रीति के मन में बहुत से प्रशन चल रहे थे "अमित क्या बोलेगा? मैं उस से क्या बात करूंगी?

स्कूल का समय ख़तम हुआ सभी बच्चे अपने घर जाने के लिये निकल गाये, प्रीति और अमित भी स्कूल से निकले और बस स्टॉप पर गये।

प्रीति जब वहा पहुंची तो अमित पहेले से ही वहां खाड़ा था।

प्रीति उसके पास गई और उस के बाजू में जाकर खड़ी हो गई, अमित का दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था, फिर अमित ने हिम्मत जूटा कर पूछा "तुम फेसबुक पर हो?" वो बोली "नहीं, मेरे पास फोन नहीं है" अमित ने पूछा "क्यों" तो प्रीति बोलीं "अभी मै 9वीं क्लास में हू और मेरे घर पर अभी फोन चलाना माना है" अमित बोला "ठीक है" फिर दोनों के बिच थोड़ी शांति थी, फिर अमित ने पूछा" आज तुम लेट क्यों आई स्कूल" प्रीति बोलीं "मेरी बस छूट गई थी मुझे देर हो गया" फिर प्रीति बोली "क्यों तुम मेरा इंताजार कर रहे थे?" अमित थोड़ा मुस्कुरा कर बोला "हा" फिर अमित ने पूछा की अभी तुम घर चली जाओगी तो अगर मुझे तुमसे बात करना हुआ तो कैसे बात करूंगा तुम अपना नंबर दो ना" प्रीति बोली "क्या बात करना है तुम्हे?" अमित बोला "ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन फिर भी अगर बात करने के लिये मन हुआ तो" प्रीति बोली की मेरे दोस्तो के पास मेरे पापा का नंबर है उनको मुझसे बात करना रहता है या कुछ काम रहता है तो वो उस पर फोन करते है, लेकिन मै तुम्हे वो नंबर नहीं दे सकती" और तभी प्रीति की बस आ गई और वो अमित को बाय बोल कर चली गई।

अमित उधर ही रुका था थोड़ी देर तक और सोच रहा था की वो प्रीति से कैसे बात करे, यही सोचते सोचते वो घर चला गया, उसे प्रीति की बहुत याद आ रही थी, उधर प्रीति भी रात भर सोई नहीं उसे वो सब बात याद आ रही थी जो उसके और अमित के बीच हुई थी बस स्टॉप पर। आज पहली बार दोनों ने एक दूसरे से बात किया था। अगले दिन फिर दोनो स्कूल में मिले, दोनों खुश थे एक दूसरे को फिर से देख कर। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, वो दोनो बस स्टॉप पर थोड़ी देर के लिये मिलते और फिर अपने अपने चले जाते।

एक दिन अमित ने सोचा "बस हो गया मै और ऐसे नहीं रह सकता अब मै प्रीती को अपने दिल की बात कह दूंगा।

फिर क्या, अगले दिन बस स्टॉप पर प्रीति से मिलने गया तो बहुत ही हिम्मत जूटाकर गया था, अमित अंदर से बहुत घबराया हुआ था की प्रीति क्या बोलेगी, जब वो बस स्टॉप पर मिले तो प्रीति उस से अपने परीक्षा के बारे में बात कर रही थी तभी बिच में अमित बोल पड़ा "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है" प्रीती बोली "हा बोलो" अमित चूप हो गया उसके दोनों पैर कापने लगे फिर उसने आंख बंद कर के जल्दी से बोल दिया "एई लव यू" ये सुनते ही प्रीति का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले।

अमित ने उस से कहा कुछ बोलो, तुम क्या सोचती हो मेरे बारे में, प्रीति चुप ही थी, अमित ने कहा "मुझे इंतज़ार रहेगा तुम्हारे जवाब का" और उधर से चाला गया, प्रीति उधर ही रुकी थी फिर कुछ ही देर में बस आई और वो भी चली गई। दोनो रात भर सोए नहीं।

प्रीति सोचती रही "क्या बोलू मै अमित को, ये सब जो हो रहा है सही है या गलात है" अमित बेसबरी से कल का इंतजार कर रहा था प्रीति के जवाब के लिए।

अगले दिन अमित स्कूल पहुंचा और देखा की प्रीति आज स्कूल ही नहीं आई, तो वो और ज्यादा बेचैन हो गया, प्रीति स्कूल क्यों नहीं आई, उसके मन में ऐसे बहुत से प्रशन चल रहे थे, वो किसी को कुछ पूछ भी नहीं सकता था, वो नहीं चाहता था कि स्कूल में ये बात किसी को पता चले और प्रीति को कुछ परेशानी हो।

वो बस प्रीति के बारे में ही सोच रहा था, पढ़ाई में बिलकुल भी ध्यान नहीं था उसका। स्कूल ख़तम हुअा तो वो सबसे पहले बस स्टॉप गया जहा वो रोज प्रीति से मिलता था, कुछ देर वही खड़ा था और फिर उदास हो कर घर चला गया इसी उम्मीद में की कल जैब प्रीति स्कूल अयेगी तब उस से सब पूछ लेगा। अगले दिन प्रीति स्कूल आई थी और स्कूल के बाद वो उसी बस स्टॉप पर अमित से मिली, प्रीति के आते ही अमित उस से पूछने लगा क्या हुआ था, कल तुम स्कूल क्यों नहीं आई।

प्रीति बोलीं कुछ नहीं लेट हो गया था।

अमित ने बोला तो क्या हुअा लेट ही आ जाती जैसे पहले आई थी देर से ।

प्रीति बोलीं नहीं ज्यदा लेट हो गया था क्युकी मै लेट सो कर उठी थी।

अमित मुस्कुराने लगा और फिर पूछा की "क्या सोचा, मैंने तुमसे कुछ कहा था कल" प्रीति चुप ही थी फिर बोली "क्या बोलू मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है", अमित बोला "उसमे इतना क्या सोचना मुझे पता है तुम भी मुजसे प्यार करती हो, मैंने देखा है तुम्हारी आंखों में" प्रीति मुस्कुराने लगी फिर अमित प्रीति का जवाब समझ गया और बोला "मै समझ गया तुम्हारा जवाब लेकिन सुनो मुझे तुमसे बात करना रेहता है, कैस करू? तुम्हारे पास तो फोन भी नहीं है "प्रीति बोलीं तुम मुझे अपना नंबर देदो मै तुम्हे फोन कर दूंगी जब पापा का फोन मेरे पास होगा तो, लेकिन तुम दोबारा उस नंबर पर फोन नहीं करना" अमित बोला ठीक है और उसे अपना नंबर दे दीया। और दोनों अपने घर चले गए।

शाम को अमित इंतजार कर रहा था की शायद प्रीति फोन करे वो अपने फोन के तरफ ही बार बार देखे जा रहा था, शाम से रात हो गईं प्रीति का फोन नहीं आया, अगले दिन स्कूल के बाद अमित ने प्रीति से पूछा "तुमने फोन क्यों नहीं किया" वो बोली "पापा का फोन नहीं था मेरे पास और मुझे समझ भी नहीं आ रहा था की फोन पर मै क्या बात करूंगी" अमित बोला "इसमें क्या फोन करती तो बात अपने आप हो जती कुछ ।"

ऐसे ही वो दोनो रोज़ स्कूल के बाद मिलते थे और प्रीति कभी कभी अमित को फोन करतीं थी उनकी बाते होती थी। एक दीन ऐसा आया कि अमित का स्कूल में अखरी दिन था क्युकी वो 10वी क्लास के बोर्ड की परीक्षा शुरू होन वाली थी और 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा की पढ़ाई के लिये चुट्टी होने वली थी, दोनो आज बस स्टॉप पर मिले प्रीति बहुत उदास थी कि कल से अमित स्कूल नहीं आयेगा और अमित भी बहुत उदास था ।

प्रीति ने अमित से कहा की "अच्छे से पढ़ाई करना बोर्ड पेपर के लिये" अमित बोला "हा" अमित की आंखो में असू थे और उसने कहा "कल से मै तुमसे नहीं मिल पाऊंगा, प्रीति शांत थी और बोली ऐसे उदास मत हो मै तुम्हे फोन करूंगी रोज़" अमित प्रीति को गले लगाना चाहता था लेकिन दोनो बस स्टॉप पर थे ।

इस लिए अमित ने कुछ नहीं किया बस प्रीति का हाथ पकड़ कर खड़ा था, वो सोच रहा था की काश समय इधर ही रुक जाता और दोनों हमेशा के लिये एक साथ ही रहते, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था, प्रीति की बस आगई अमित उसका हाथ छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था ।

प्रीति उसे बहुत समझा रही थी की "मुझे जाने दो, घर पहुंचने में देरी जो जाएगी तो मम्मी पूछेगी की देर से क्यों आईं, अमित फिर भी उसका हाथ छोड़ने को तायार नहीं था ।

उसने प्रीति का हाथ पकड़ा ही था और बस चली गई, प्रीति बोलीं देखो बस भी चली गई अब दुसरी बस कब तक आयगी, अमित बस प्रीति को देखे जा राहा था ।

कुछ ही देर में दूसरी बस भी आगई इस बार प्रीति बोलीं प्लीज मुझे जाने दो घर, मुझे बहुत डाट पड़ेगी मै और लेट हो गई तो, अमित ने बोला पहले वादा करो की तुम मुझे रोज फोन करोगी, प्रीति बोली हा करूंगी, इस बार अमित ने प्रीति का हाथ छोड़ दिया और प्रीति बस में चोली गई, अमित उधर ही खड़े हो कर प्रीति को देख रहा था, बस की खिड़की से प्रीति बाय बोलीं और फिर बस चली गई।

प्रीति अमित से फोन पर रोज बात करती थी।

जब 2 दीन बाकी थे परीक्षा के लिए, अमित को प्रीति से मिलाना था, एक दीन अमित प्रीति को बीना बताए स्कूल छुटने के समय उसी बस स्टॉप पर गया जहा वो रोज मिलते थे, प्रीति स्कूल के बाद घर जाने के लिए उसी बस स्टॉप पर आई, उसने देखा कि अमित बस स्टॉप पर था वो दूर से ही अमित को देख कर खुश हो गई ,फिर तो वो ना दाए देखी ना बाए और भागी भागी बस स्टॉप पर पहुंची, वो बहुत खुश थी ।

अमित के पास जाते ही वो बोली तुम यहा!

कल तो तुमने फोन पर नहीं कहा था तुम आने वाले हो, अमित बोला क्यूकी मै तुमहे सरप्राइज देना चाहता था इसलिए नहीं कहा था, प्रीति बोलीं अच्छा किया की तुम आ गए मिलने मुझे तुमरी बहुत याद आ रही थी, अमित बोला हा मुझे भी बहुत याद आ रही थी इस लिए आ गया परिक्षा के लिए बस दो दीन बाकी है सोचा मिल लूं।

प्रीति पूछी तुम्हारी पढ़ाई हो गई सब?

अमित बोला हा लगभग हो ही गई है सब, वो बोली ठीक है अच्छे से सब लिखना परिक्षा में तुमहे अच्छे मार्क्स लाना है। अमित बोला हा।

दो दिन बाद अमित का पहला पेपर था, परीक्षा के एक दिन पहले अमित का फोन खराब हो गया, अमित का छोटे भाई फोन से खेलते खेलते उसे पानी में गिरा दिया था।

अमित को बहुत गुस्सा आ रहा था क्युकी अब वो प्रीति से बात नहीं कर सकता था, और ना ही अभी उसे दूसरा फोन मिलता क्युकी परीक्षा चल रहा था तो उसके पापा उसे दूसरा फोन नहीं देते अभी।

उधर प्रीति भी बहुत परेशान थी की क्या हो गया अमित का फोन क्यों नहीं लगता अब, फिर वो सोची की शायद वो पढ़ाई करता रहता होगा तो फोन बंद कर दिया होगा।

प्रीति इंतजार केर ही थी की शायद परीक्षा ख़तम होते ही अमित मिलने आये। अमित ने येही सोचा था की जैसे ही परीक्षा ख़तम होगा तो वो प्रीति से मिलने जाएगा।

आखिर वो दिन आ ही गया आज अमित का आखरी परीक्षा था।

अमित बहुत खुश था की परीक्षा के बाद वो सिधा बस स्टॉप जाएगा प्रीति से मिलने।

आज उसका हिंदी विषय का परीक्षा था। वो परीक्षा में जल्दी जल्दी हाथ चला रहा था की जल्दी से पेपर ख़तम और वो प्रीति से मिलने जाए।

पेपर खतम हुआ और वो सबसे पहले अपने क्लास से निकला और सिधा उसी बस स्टॉप पर गया, अभी स्कूल की छुट्टी होने के लिये 2 घट्टे बाकी थे फिर भी वो चला गया उधर और इंतजार कर रहा था प्रीति का।

वो 2 घंटे भी उसे अब सालो लग रहे थे। 3 बज गए स्कूल के छुटने का समय हो गया अमित की नजर बस प्रीति को देखने के लिए बेचैन थी, वो बेसबरी से उसका इंताजार कर रहा था, आखिर प्रीति उसे दिख गई बस स्टॉप के तरफ आते हुए, प्रीति की नजर अमित की ओर दूर से ही गई।

वो खुद को रोक नहीं पाई और वो दौड़ने लगी की जलदी से अमित के पास पहुंच जाए, उसको इतना भी ध्यान नहीं था की वो रोड पर दौड़ रही है, तभी अचनाक से दुसरी तरफ से एक ट्रक बहुत ही तेजी से प्रीति के तरफ आ रहा थी अमित कुछ कर पाता उस के पहले वो ट्रैक प्रीति को टक्कर मार कर चला गया। अमित को कुछ समझ ही नहीं आया वो उधर ही खड़ा रह गया कुछ देर, और प्रीति के आजू बाजू बहुत भीड़ इक्कठा हो गई, तभी किसी ने एम्बुलेंस को फोन किया, अमित दौड़ के प्रीति के तरफ गया वो उसके पास जा ही रहा था की उधर खड़े लोगो ने उसे रोक दिया।

वो बिलकुल शांत हो गया था उसे समझ ही नहीं आया की क्या हुअा।

थोड़ी ही देर बाद एम्बुलेंस आई और प्रीति को पास वाले अस्पताल ले कर गई।

अमित उधर ही खड़ा रह गया।

कुछ देर बाद वो भी अस्पताल गया और प्रीति के लिए पूछताछ किया और उसके कमरे के तरफ गया, उधर उसने देखा की प्रीति के मम्मी पापा भी आ गये है।

अमित थोड़ी दुर ही खड़ा हो गया, उसने देखा की प्रीति की मम्मी रो रही थी, ये सब देख कर उसे भी रोना आ रहा था , कुछ देर बाद एक डॉक्टर निकले प्रीति के रूम से, प्रीति के पापा डॉक्टर के पास गये और उनसे पूछने लगे "कैसी है मेरी बेटी?,

वो ठीक तो है ना।

डॉक्टर उदास दिख रहे थे फिर वो बोले "हम आपकी बेटी को नही बचा पाए" ये सुनते ही अमित वहा से चाला गया, उसे बिलकुल नहीं समझ रहा था की वो कहा जाए क्या करे, वो बस स्टॉप के थोड़ी दुर पर एक गार्डन था वहा जा कर बैठ गया, वो बहुत रोने लगा, उसे प्रीति की बहुत याद आ रही थी, वो सोच रहा था की प्रीति उसके वजह से ही आज उसके साथ नहीं है, ना वो आज उस से मिलने आता और ना ही वो सब हुआ होता, शाम हो गई थी अमित वाहा ही बैठ कर बहुत रोए जा रहा था।

फिर किसी ने अमित को रोते हुए देखा तो उस से पूछा क्या हुआ तुम यहां बैठ कर क्यों रो रहे हो, अमित कुछ नहीं बोला, फिर उस आदमी ने कहा कि घर जाओ बहुत देर हो गई है तुम्हरे मम्मी पापा तुम्हारा इंतजार कर रहे होंगे। वो उधर से उठा और धीरे धीरे चलते चलते घर आया।

उसकी मम्मी उस से पूछने लगी कहां था इतने देर तक और परीक्षा कैसा था आज का, अमित बोला ठीक था और वो परीक्षा के बाद अपने दोस्त के घर चला गया था। इतना बोल कर वो अपने कमरे में चला गया। उसे खुद पर बहुत गुस्सा आरहा था, वो बहुत रोया, वो खुद को माफ नहीं कर पा रहा था, वो बस यही सोच रहा था कि सब उसकी गलती थी प्रीति की वो हालत उसके वजह से हुई।

कुछ महीनों बाद अमित का रिजल्ट आया बोर्ड परीक्षा का। उसने अपना रिजल्ट देखा और वो अच्छे नंबरों से पास हुआ था, उसे अपने रिजल्ट की कोई खुशी नहीं हुई। वो बस येही सोच रहा था की प्रीति होती थो वो कितनी खुश होती उसका रिजल्ट देख कर। अमित अब बिल्किल बदल गया था, अब वो ज्यदा किसी से बात भी नहीं करता था, बस अकेले अकेले रहता था।

आगे की पढ़ाई के लिये उसके मम्मी पापा ने उसे हॉस्टल भेज दिया।

अमित वहा जा कर थोड़ा बदल रहा था, अब वो बकी लोगो में थोड़ा घुल मिल कर रहता था लेकिन वो प्रीति को नहीं भुला था और ना ही खुद को माफ कर पाता था, वो पुरी जिंदगी खुद को प्रीति का गुनेहगार समझता रहा।

वो बस सोचता रहता कि उसके वजह से ही प्रीति उसे हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई।