अंकिता और विनय एक ही कॉलेज में पढ़ते थे ।
दोनों केे एक कॉमन फ्रेंड ने उनकी मुलाक़ात करवाई थी ।
पूरा ग्रूप साथ में घूमते फिरते खाते पीते रहते थे ।
पर अंकिता और विनय की नज़दीकीया बड़ने लगी ।
देखते ही देखते उनको एक दूसरे से प्यार हो गया ।
अब वह दोनों अकेले वक़्त बीताने लगे ।
भाग में घूमना,साथ में मूवी देखने जना, साथ में पढ़ना वह हर चीज़ एक साथ ही करते थे।
देखते ही देखते कॉलेज ख़त्म हो गया और उनका मिलना भी कम होगया।
एक बार अंकिता और विनय दोनों एक समुद़ कीनारे बैठे थे।
अंकिता ने विनय से कहाँ "अब तो हमारी कालेज भी ख़त्म हो गई है अब हम एक दूसरे के साथ वक्त कैसे बिंतागे और अब जल्द ही मेरे घर वाले मेरी शादी करवा देंगे!"
विनय ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा की"अंकिता तुम चिंता मत करो मेने एक दो कम्पनी में अपलाये कर दिया है बस कुछ ही दिनों में में अच्छी नौकरी पर लग जाउगा फिर हम अपने अपने घर में बता देंगे."
दो हफ्ते बाद ही विनय को अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई ।
जैसे की उन्होंने तय किया था ।
उन्होंने अपने अपने घर पे बता दिया ।
विनय की माँ तो मान गई पर उसके पीता जी नहीं मान रहे थे ।
और यहाँ अंकिता के घर वालो ने तोह साफ़ साफ़ इंकार ही कर दिया था ।
वह दोनों बहुत परेशान होने लगे की अब क्या होगा ??
कैसे वह अपने घर वालो को मनांगे ??
बहुत दिन हो गये दोनों का एक दूसरे से बात करना भी कम हो गया था क्यूंकी अंकिता के घर वालो ने उसका फ़ोन ले लिया था और उसके लिए रिश्ता ढूंढ रहे थे।
वह कभी कभी अपनी सहेली केे घर जाती तभी विनय को फ़ोन कर पाती थी और बस हमेशा यही कहती की विनय तुम जल्दी ही कुछ करो वरना मेरी शादी हो जाएगी में तुमसे बहुत प्यार करती हूं तुम्हारे बिना नहीं रह पाउंगी ।
विनय भी उससे हमेशा आश्वासन देता था ।
पर उससे भी नहीं समझ रहा था की वह क्या करे??
कैसे अपने घर वालो को मनए??
यही सोचते सोचते वक़्त बीतते जा रहा था।
दोनों बहुत परेशान रहने लेगे ।
विनय घर पे न कुछ खाता था न ही बात करता था बस पूरा दिन शांत शांत रहता था ।
यह देख कर उसकी माँ से रहा नहीं गया और उसने अपने पति को समझाया की मुझे मेरे बेटी की ख़ुशी से बढ़ कर कुछ नहीं है और अब अगर उसकी शादी होगी तो अंकिता से ही होगी आप कल ही उसके घर जाके उसके माँ बाप से बात करो।
अगले ही दिन विनय केे पापा अंकिता के घर गए और अंकिता के माँ बाप से बात की और उन्हें समजाया की हमारे बच्चों की ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी होगी। मेरा बेटा एक अच्छी कंपनी में काम करता है और उसकी तनख्वाह भी अच्छी है वह आपकी बेटी को खुश रखेगा ।
विनय केे पिता जी की बात सुनकर अंकिता के माँ-बाप मान गये और शादी के लिए राज़ी हो गये।
विनय और अंकिता की शादी धूम धाम से हुई ।
दोनों बहुत खुश थे। वह अपने हनीमून के लिए शिमला गये ।
हनीमून से लौटते ही विनय अपने काम पे लग गया दोनों की ज़िन्दगी हसी ख़ुशी बीत रही थी। उनकी शादी को अब दो साल होने वाले थे
पर उन्हें अभी तक बच्चा नी हुआ था। घर वाले रिश्तेदार सब लोग अंकिता से हमेशा यही सवाल पूछते थे की खुश खबरी कभी दे रही हो पर वह हमेशा मुस्कुरा कर बात ताल देती थी।
विनय और अंकिता भी बच्चा चाहते थे पर उन्हें हो नहीं रहा था। बहुत डॉक्टरो को दिखाया सब टेस्ट भी करवाई लेकिन कुछ फ़ायदा नहीं हुआ। अंकिता की सास उससे बाबा के पास भी ले गई पर वहां se भी सर्फ नीराशा ही हाथ आई ।
अंकिता बहुत परेशान थी । उससे यही चिंता खाये जा रही थी की वह कभी माँ नहीं बन पाएगी!
4 साल बीत गये पर उन्हें अभी तक बच्चा नहीं हुआ!
एक दिन विनय ऑफिस से लौट तो उसकी माँ उससे चिल्लने लगी की तूने अपनी मर्ज़ी से शादी की अब देख रहा है ना बच्चा भी नी होरा अब हमारा वंनश आगे कौन बढ़ायेगा???
लोगो के ताने सुन सुन कर मेरे कान पक गये है आखिर हमे भी इच्छा होती है की अपने पोते पोतियो को देखे
यह सब अंकिता सुन रहीं थी । विनय ने अपनी माँ को समझाया की जरुरी नहीं की आपकी बाहु में ही कुछ कमी हो मुझमें भी तो हो सकती है आप शांत हो जाइये जैसे तैसे उसने अपनी माँ को चुप करवाया और अपने रूम में चले गया जहा अंकिता वहा बहुत रो रही थी।
विनय उसके पास गया और उससे गेल लगा कर कहने लगा । तुम चिंता मत करो सब ठीक होगा में हु ना तुम्हारे साथ में तम्हारा साथ कभी नहीं छोडूंगा ।
और माँ की बात का बुरा मत मानो वो ऐसे ही कहते है गुस्से में जाने दो खाना लगा दो हम साथ में खाते है । अंकिता थोड़ा शांत हुई और खाना लेकर आई दोनों ने साथ में खाना खाया और सोने लगे पुरी रात अंकिता यही सोचती रही की कैसी औरत हु में जो अपने पति को बच्चा भी नहीं दे पारी अपना वंश को आगे नहीं बड़ा पारी कितनी बदनसीब हु मैं ।
वह पूरी रात नहीं सोइ और बस रोये जा रही थी। सुबह हुई सब अपने अपने काम में लग गये । विनय भी ऑफिस के लिए निकल गया अंकिता भी अपना काम करने लगी पर उसके दिमाग में वही रात वाली बात चल रही थी। पूरा दिन यही सोचती रही ।
रात को जब विनय घर आया तो अंकिता ने उससे खाना दिया और वह दोनों अपने कमरे में सोने की तैयारी कर रहे थे की तब अचानक अंकिता ने विनय से कहा की क्यों न हम एक बच्चा गोद ले ले अब हमे तो बच्चा नहीं होरा क्यों ना हम किसी बच्चे को गोद ले और उससे माँ बाप का सूख दे और हमें भी बच्चे का सुख मिल जाएगा? विनय ये बात सुन कर बहुत खुश हुआ ।
वह दोनों दूसरे ही दिन एक दत्तक ग्रहण संसथा गये और वहा पुरी बात बताई । दत्तक ग्रहण संसथा वालो ने कहा की आप एक फॉर्म बर दीजिये जैसे जैसे ही सब जाच परताल हो जायगी आपको फ़ोन आजायेगा । उन्होंने फॉर्म भरा और एक आशा के साथ घर लोटे की शायद अब उनकी परेशानी दूर हो जाएगी ।
6 महीने हो गये उनको कॉल नी आया । विनय जबी वहा जाता वह लोग उससे एक ही जवाब देते की कॉल आजायेगा पर इंतज़ार की गाड़ीया बढ़ति जारी थी।
अब अंकिता हिम्मत हार चुकी थी वो पूरी तरह से टूट चुकी थी विनय भी आखिर कितना उसको समझा पाता दोनों थक चुके थे उन्हें अभी कोई उम्मीद ही नहीं रही थी की वह कभी माँ बाप बन पायेगे।
पर विनय ने अंकिता का साथ और कोशिश करना नहीं छोड़ा वह हर दो दिन में संसथा जाता था ।
इंतज़ार करते करते 8 महीने होगये थे। और एक दिन अचानक विनय को कॉल आता है की आप दत्तक ग्रहण संसथा में आजाये आपके लिए एक ख़ुश खबर है। उसने तुरंत अंकिता को फ़ोन करके दत्तक ग्रहण संसथा आने के लिए कहा
दोनों वहां पहुचे तो उन्हें पता चला की उनको एक बेटी गोद दी जा रही है जो की सिर्फ 5 महीने की है विनय और अंकिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा विनय तो ख़ुशी केे मारे वही नाचने लगा ।
वह दोनों उस बच्ची को लेकर घर आये विनय की माँ ने उनका पूजा की थाली से सवागत किया उन्होंने उसका नाम किरन रखा (जैसे वह उनकी ज़िंदगी में अाशा की किरण हो)।
वह सब बहुत खुश थे आखिर उन्हें अपनी बेटी जो मिल गई थी और वह अच्छे से खुशहाल ज़िन्दगी जीने लगे ।
बस यही होता है प्यार जो हर वक़्त में तुम्हारा साथ दे और यक़ीन दिलाए की हमारी परेशानीया हमसे छोटी होती है और हमे कभी अपने ज़िंदगी में उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए विश्वास हो तो हम सब कुछ पा सकते हैं ।
.