एक वृद्ध भिक्षु और एक युवा भिक्षु दोनों नदी किनारे से चले जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक युवती नदी में डूब रही है और बचाओ बचाओ के लिए आवाज दे रही है।
युवा भिक्षु तुरंत नदी में कृदा और युवती को नदी से बाहर निकाल लाया।
इस तरह से उसने उस युवती को बचा लिया।
इतने में वृद्ध भिक्षु गरम हो गए, ''अरे, तुमने उस महिला को छू लिया! अब मैँ तुम्हें बुद्ध से कहूँगा और तुम्हें दंड/प्रायश्चित दिलवाऊँगा'' दोनों बुद्ध के सामने पहुँचे ।
वृद्ध भिक्षु ने कहा, “भंते ! इसको दंड मिलना चाहिए।”
बुद्ध ने पूछा, '' क्यों ?”
वृद्ध भिक्षु ने कहा, ''इस बात का कि इसने युवती को उठाकर नदी से बाहर रखा, इसने उसे छू लिया, इसका ब्रह्मचर्य नहीं रहा। इसलिए इसे प्रायश्चित्त मिलना चाहिए।”
बुद्ध ने कहा, ''प्रायश्चित्त पहले तुम ले लो।"
“मैं, मैं किस बात का प्रायश्चित लूँ ?” विस्मय से उसने पूछा।
बुद्ध ने कहा, "इसने तो उस महिला को उठाकर वहाँ ही रख दिया पर तुम तो उसे अपने मानस में उठाकर यहाँ तक ले आए तुम्हारे मन में अभी भी यह है, तुम इतनी देर से उसे ढो रहे हो, इसने तो वहाँ रखा और भूल भी गया। सुनो, मैं तुम्हें परिणामों की निर्मलता के लिए यह चार उपाय बताता हूँ --