अक्ल बड़ी या भैंस

Akal Badi Yaa Bhains Kahani

उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः

उपाय द्वारा जो काम हो जाता है वह पराक्रम नहीं हो पाता

एक स्थान पर वटवृक्ष की एक बड़ी खोल में एक कौवा-कौवी रहते थे।

उसी खोल के पास एक काला साँप भी रहता था।

वह साँप कौवी के नन्हे-नन्हे बच्चों को उनके पंख निकलने से पहले ही खा जाता था।

दोनों इससे बहुत दुःखी थे।

अन्त में दोनों ने अपनी दुःख-भरी कथा उस वृक्ष के नीचे रहने वाले एक गीदड़ को सुनाई, और उससे यह भी पूछा कि अब क्या किया जाए।

साँप वाले घर में रहना प्राणघातक है।

गीदड़ ने कहा-इसका उपाय चतुराई से ही हो सकता है।

शत्रु पर उपाय द्वारा विजय पाना अधिक आसान है।

एक बार एक बगुला बहुत-सी उत्तम, मध्यम, अधम मछलियों को खाकर प्रलोभनवश एक करकट के हाथों उपाय से ही मारा गया था।

दोनों ने पूछा-कैसे ?

तब गीदड़ ने कहा-सुनो