बुद्धिमान तोता

बुद्धिमान तोता की शिक्षाप्रद कहानी

बहुत समय पहले की बात है।

एक घने जंगल में एक तोता अपने दो बच्चों के साथ रहता है।

उनका जीवन ख़ुशी-ख़ुशी बीत रहा था।

एक दिन जंगल से गुज़रते एक शिकारी की दृष्टि तोते के बच्चों की ख़ूबसूरत जोड़ी पर पड़ी।

उसने सोचा कि राजा को देने के लिए ये तोते बहुत सुंदर उपहार है।

वह उन तोतों को पकड़कर राजा के पास ले गया।

जब उसने वे तोते राजा को उपहार स्वरुप दिए, तो राजा बहुत ख़ुश हुआ और शिकारी को उसने सौ सोने के सिक्के ईनाम में दिए।

राजमहल में लाये जाने के बाद तोते सबके आकर्षण का केंद्र बन गए।

उन्हें सोने के पिंजरे में रखवाया गया।

हर समय सेवक उनके आगे-पीछे दौड़ते रहते।

ना-ना प्रकार के ताज़े फ़ल उन्हें खिलाये जाते।

राजा उनसे बहुत प्रेम करता था।

राजकुमार भी सुबह-शाम उनके पास आकर खेला करता था।

ऐसा जीवन पाकर दोनों तोते बहुत ख़ुश थे।

एक दिन छोटा तोता बड़े तोते से बोला, “भाई, हम कितने ख़ुशनसीब हैं, जो इस राजमहल में लाये गए और ऐसा आरामदायक जीवन पा सके।

यहाँ हर कोई हमसे कितना प्यार करता है।

हमारा कितना ख्याल रखता है।

“हाँ भाई, यहाँ हमारी ज़रूरत की हर चीज़ बिना मेहनत के हमें मिल जाती है।

हमारा जीवन पहले से अधिक आरामदायक हो गया है।

सबसे अच्छी बात ये है कि यहाँ हमें हर किसी से प्रेम मिलता है।

तोते को राजमहल का आनंदपूर्ण जीवन बहुत रास आ रहा था।

लेकिन एक दिन सब बदल गया।

वह शिकारी जिसने राजा को उपहार में तोते दिए थे, राजदरबार में फिर से आया।

इस बार उसने एक काला बंदर राजा को उपहार में दिया।

अब काला बंदर राजमहल में सबके आकर्षण का केंद्र था।

सारे सेवक उसकी देख-रेख में लग गए।

उसके खाने-पीने का विशेष ख्याल रखा जाने लग।

तोतों के प्रति सबने ध्यान देना बंद कर दिया।

यहाँ तक कि राजकुमार भी अब तोतों के स्थान पर बंदर के साथ खेलने लगा।

यह देखकर छोटा तोता बहुत दु;खी था।

वह बड़े तोते से बोला, “भाई, इस काले बंदर ने हमारी सारी ख़ुशियाँ छीन ली है।

इसके कारण अब हमारी ओर कोई ध्यान ही नहीं देता।

बड़ा तोता बोला, “कुछ भी स्थायी नहीं रहता मेरे भाई।

वक़्त बदलते देर नहीं लगती।

कुछ दिन बीते. बंदर था तो शरारती।

एक दिन उसने महल में बहुत उत्पात मचाया।

सेवकों को बहुत तंग किया. राजकुमार भी उसकी हरक़त से डर गया।

राजा को जब बंदर की कारस्तानी पता चली, तो उसने उसे जंगल में छोड़ आने का आदेश दे दिया।

आदेश का पालन कर बंदर को जंगल में छोड़ दिया गया।

उस दिन के बाद से तोते फिर से महल में सबके आकर्षण का केंद्र बन गए।

अब छोटा तोता बहुत ख़ुश था।

वह बड़े तोते से बोला, “हमारे दिन फिर से वापस आ गए भाई.”।

बड़ा तोता बोला, “याद रखो मेरे भाई।

समय कभी एक जैसा नहीं रहता।

इसलिये जब समय साथ न दे, तो दु:खी नहीं होना चाहिए।

बुरा समय है, तो अच्छा समय भी आयेगा।

छोटे तोते को बड़े तोते की बात समझ में आ गई और उसने तय किया कि बुरे वक़्त में वह धैर्य बनाकर रखेगा।

सीख

कोई भी चीज़ स्थायी नहीं रहती. समय के साथ हर चीज़ बदलती है. इसलिए मुश्किल समय में धैर्य बनाकर रखें।