बुद्ध का आत्म-साक्षात्कार

जो पूर्ण सदा पवित्र है, वह सत्ता आत्मा है ।

जो सदा अटल है, कभी नहीं टल सकता, वह आत्मा है ।

जो सूक्ष्म से भी सूक्ष्म है, वह आत्मा है ।

जो प्रजाओं का उत्पत्ति स्थल है, वह आत्मा है ।

जो सर्वधर्म की प्रेरणा है, वह आत्मा है।

जो सबको शक्ति प्रदान करता है, वह आत्मा है।

जो सबको देख और सुन सकता है, वह आत्मा है ।

जो सबका प्रकाश है, प्रकाश से पूर्ण है, वह आत्मा है ।

जो अच्छी तरह अनुभव में आनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो तत्त्वों का आश्रय है, वह आत्मा है ।

जो मुक्ति रूप सिद्धि देनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो प्रकाश है और अग्नि के समान है, वह आत्मा है ।

जो संसार की उत्पत्ति का कारण है, वह आत्मा है।

जो शक्तिमानों में सर्वश्रेष्ठ है, वह आत्मा है।

जो प्रभु के प्यारों को विश्राम देता है, वह आत्मा है ।

जो सत्त्वगुण से भी श्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो धर्म है और धर्म की शोभा है, वह आत्मा है।

जो इंद्रियों और मन से जाना नहीं जाता, वह आत्मा है जो भक्तों के मनोरथ सिद्ध करता है, वह आत्मा है ।

जो जानने लायक है, वह आत्मा है ।

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जो सत्य रूप नारायण है, वह आत्मा है ।

जो सर्व प्रपंचों से परे है, वह आत्मा है ।

जो सर्व जीत है, विजय रूप है, वह आत्मा है ।

जो सबका आधार है, वह आत्मा है ।

जो मन और वाणी से परे है, वह आत्मा है ।

जो समस्त प्राणियों को पैदा करता है, वह आत्मा है ।

जो अविनाशी निधि है, वह आत्मा है ।

जो समस्त कार्यों में समर्थ है, वह आत्मा है ।

जो कर्म और फल की रक्षा करता है, वह आत्मा है ।

जो भूत, भविष्य और वर्तमान में भी शाश्वत है, वह आत्मा है।

जो जगत् के लिए कल्याणकारी है, वह आत्मा है ।

जो अति सुंदर और सर्वश्रेष्ठ है, वह आत्मा है।

जो संतपुरुषों का अभीष्ट है, वह आत्मा है ।

जो सर्व की शक्ति है, वह आत्मा है ।

जो भक्तों का ईश्वर है, वह आत्मा है।

जो किसी से भी पराजित नहीं होता, वह आत्मा है ।

जो योग और क्षेम सँभालता है, वह आत्मा है ।

जो जन्म और मरण से रहित है, वह आत्मा है।

जो सारे संसार में व्याप्त है, वह आत्मा है ।

जो सबके प्राणों को धारण करता है, वह आत्मा है।

जो सदा जाग्रत और जन्म से रहित है, वह आत्मा है ।

जो सबकी अटल संपत्ति है, वह आत्मा है ।

जो सबसे श्रेष्ठ क्रांति वाला है, वह आत्मा है ।

जो सरल स्वभाव वाला है, वह आत्मा है ।

जो भक्तों के स्मरण में आता है, वह आत्मा है ।

जो सबके शरीर का आधार है, वह आत्मा है ।

जो नित्य आत्मानंद सुखवाला है, वह आत्मा है ।

जो परम पूजनीय है, वह आत्मा है ।

जो अखंड ज्योति है, वह आत्मा है ।

जो उत्तमों से भी उत्तम है, वह आत्मा है ।

जो सर्व सुखों से श्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो रहस्य का भी रहस्य है, वह आत्मा है ।

जो आवागमन से रहित है, वह आत्मा है ।

जो उत्तम यशवाला है, वह आत्मा है ।

जो पापों से मुक्त करनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो अपने प्रकाश से सर्वत्र व्याप्त है, वह आत्मा है ।

जो ज्ञान और मान की मूर्ति है, वह आत्मा है ।

जो भक्तों का आनंद रूप है, वह आत्मा है ।

जो व्यवहार में समत्व भाव रखता है, वह आत्मा है।

जो चारों आश्रमों का अति प्रिय है, वह आत्मा है जो अति दुर्लभ है, वह आत्मा है ।

जो सदा अखंड है, वह आत्मा है ।

जो सदा अचल-स्थिर है, वह आत्मा है ।

जो अखंड ज्ञान से पाया जा सकता है, वह आत्मा है ।

जो सर्वत्र वर्तमान है, मन से परे है, वह आत्मा है।

जो सबके द्वारा पूजा जाता है, वह आत्मा है ।

जो सबकुछ प्राप्त करा सकता है, वह आत्मा है ।

जो सबको जाननेवाला और जीतनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो सब पर विजय करने वाला है, वह आत्मा है ।

जो परमार्थी-सत्यरूप परिपूर्ण है, वह आत्मा है ।

जो निधि की भी निधि है, वह आत्मा है ।

जो सदा सबके लिए कल्याणकारी है, वह आत्मा है ।

जो प्रयास और अनुभव से प्राप्त होता है, वह आत्मा है ।

जो सदा पूर्ण पवित्र है, वह आत्मा है ।

जो तीनों कालों में ऐश्वर्य से युक्त है, वह आत्मा है ।

जो सर्व जीवात्माओं का रक्षक है, वह आत्मा है ।

जो सबका अपना है, वह आत्मा है ।

जो ज्ञानियों का अति प्रिय है, वह आत्मा है ।

जो शोक से पूर्ण - रहित है, वह आत्मा है।

जो सदा अपने स्वरूप में स्थित है, वह आत्मा है।

जो सबके हृदय में निवास करता है, वह आत्मा है।

जो परमानंद - स्वरूप है, वह आत्मा है

जो योगियों के ध्यान में आता है, वह आत्मा है ।

जो सर्वत्र है और जो सर्वत्र जाना जाता है, वह आत्मा है ।

जो ब्रह्म का मार्ग है, वह आत्मा है ।

जो सर्व गुणों से श्रेष्ठ आनंद देता है, वह आत्मा है ।

जो शून्य और आकाश है, वह आत्मा है ।

जो सर्व पुण्यों का पुण्य है, वह आत्मा है ।

जो राम, कृष्ण, हरि रूप में है, वह आत्मा है ।

जो कालों का भी काल रूप है, वह आत्मा है।

जिसकी सत्ता से सारी सृष्टि चल रही है, वह आत्मा है।

जो साक्षात् सारे संसार का साक्षी है, वह आत्मा है ।

जो विकार - रहित शिशु भी है और वृद्ध भी है, वह आत्मा है।

जो पुरुष का सदा प्रयत्न रूप है, वह आत्मा है ।

जो सदा अपने स्वरूप में स्थित है, वह आत्मा है।

जो चंद्रमा को शक्ति देता है, वह आत्मा है ।

जो तप के द्वारा अनुभव में आता है, वह आत्मा है ।

जो अनंत कल्याण गुण से पूर्ण है, वह आत्मा है ।

जो सबसे सुंदर कांतिवाला है, वह आत्मा है ।

जो सबकी शक्ति बनकर हृदय में बैठा है, वह आत्मा है ।

जो आत्म स्वरूप से सबमें बसा है, वह आत्मा है ।

जो सर्व गुणातीत है, सर्वगुणों से परे है, वह आत्मा है ।

जो सबको तृप्त करने वाला है, वह आत्मा है ।

जो सर्व माया से महान् है और सर्वश्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो महातेज वाला तेजस्वी है, वह आत्मा है ।

जो सर्व शक्तियों से श्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो शरीर की स्थिर शोभा है, वह आत्मा है ।

जो समस्त प्रमाणों का प्रमाण है, वह आत्मा है ।

जो समस्त शक्तियों से युक्त है, वह आत्मा है ।

जो श्रेष्ठों से भी श्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो सारे जीवों के पाप-पुण्य को जानता है, वह आत्मा है।

जो पवित्र मनवाला पूर्ण शुद्ध है, वह आत्मा है ।

जो सर्व पापों से दूर है, वह आत्मा है ।

जो पास भी है दूर भी है, वह आत्मा है।

जो सबकुछ जानता है, वह आत्मा है ।

जो बड़ा भाग्यशाली है, वह आत्मा है ।

जो ईश्वर का अति प्यारा है, वह आत्मा है ।

जो अपनी महिमा में सदा स्थित है, वह आत्मा है ।

जो सबसे प्रथम वंशवाला है, वह आत्मा है ।

जो निकट आता है, उसे पूर्ण शांत करता है, वह आत्मा है ।

जो सर्व आनंद का भी आनंद है, वह आत्मा है।

संसार का कारण है, वह आत्मा है।

सब शुभ कार्यों का कारण एक मात्र आत्मा है ।

जो सर्वत्र पूजने योग्य है, वह आत्मा है ।

जो ज्ञान और धर्म से प्राप्त होता है, वह आत्मा है ।

जो भूत, भविष्य और वर्तमान का मालिक है, वह आत्मा है ।

जो औषधि रूप है, वह आत्मा है ।

जो अपना आधार आप है, वह आत्मा है ।

जो सर्व ज्योतियों की ज्योति है, वह आत्मा है ।

जो राग-द्वेष से सदा रहित है, वह आत्मा है ।

जो समस्त विभूतियों का आधार है, वह आत्मा है ।

जो तीनों कालों में स्थित है, वह आत्मा है ।

जो भक्तों को तारता है, वह आत्मा है ।

जो सर्व कार्यों में दक्ष है, वह आत्मा है ।

जो जगत् का अविनाशी तत्त्व है, वह आत्मा हैं ।

जो सबको प्रसन्न करनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो मन और इंद्रियों से दूर है, वह आत्मा है ।

जो समस्त देश-काल में रहता है, वह आत्मा है।

जो प्राण रूप उपाधि से सब जीवों का आश्रय है, वह आत्मा है ।

जो अपने आधार पर आधारित है, वह आत्मा है ।

जो तत्त्व ज्ञान से भरपूर है, वह आत्मा है ।

जो भगवत् - धर्म से प्रत्यक्ष होता है, वह आत्मा है ।

जो सांसारिक सुखों में लगाव नहीं रखता, वह आत्मा है ।

जो सबसे उत्तम है, श्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो पवित्र कीर्तिशाली है, वह आत्मा है ।

जो सुवर्ण वीर्य वाला है, वह आत्मा है ।

जो सबका सच्चा- धन है, वह आत्मा है ।

जिसका स्वभाव नित्य शुद्ध और बुद्ध है, वह आत्मा है।

जो मिलकर कभी बिछुड़ता नहीं, वह आत्मा है ।

जो सबके शुभ-कर्मों की प्रेरणा है, वह आत्मा है ।

जो मन, बुद्धि और चित्त का विषय नहीं, वह आत्मा है ।

जो सबकुछ करता है फिर भी अकर्ता है, वह आत्मा है ।

जिसका कभी भी नाश नहीं होता, वह आत्मा है।

जो ज्ञान और ऐश्वर्य से संपन्न है, वह आत्मा है ।

जो मंगली का भी मंगल है, वह आत्मा है ।

जो काल रूप बंधनों से मुक्त करे, वह आत्मा है ।

जो सदा सर्व-विकार से दूर है, वह आत्मा है ।

जो विश्व का मुख्य कारण है, वह आत्मा है ।

जो भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का सार है, वह आत्मा है ।

जो आत्म ज्ञानियों का कल्प वृक्ष है, वह आत्मा है।

जिससे सब शक्ति पाते हैं, वह आत्मा है ।

जो सत्पुरुषों से प्राप्त करने योग्य है, वह आत्मा है।

जिसमें देवताओं से श्रेष्ठ शक्ति है, वह आत्मा है।

जिसका ज्ञान अज्ञानियों को ज्ञानी बनाता है, वह आत्मा है ।

जो सत्पुरुषों को ऐश्वर्य देता है, वह आत्मा है ।

जो सबको आनंद का अनुभव कराता है, वह आत्मा है।

जो भक्तों का श्रेष्ठ मित्र है, वह आत्मा है ।

जो सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो बुद्धिमानों का परम पूजनीय है, वह आत्मा है ।

जो अभिमानी को प्राप्त नहीं होता, वह आत्मा है जो सच्चा और परम ज्ञानी है, वह आत्मा है ।

. जो सदा सदैव स्वस्थ रहता है, वह आत्मा है ।

जो अपनी महिमा में सदा स्थित है, वह आत्मा है ।

जो सत्य और धर्म से भरा हुआ है, वह आत्मा है ।

जो संसार का कारण - रूप परमात्मा है, वह आत्मा है जो प्रकृति, माया और पुरुष का ईश्वर है, वह आत्मा है ।

जो तम, रज और सत्व गुणों से परे है, वह आत्मा है ।

जो सबको फल प्रदान करता है, वह आत्मा है ।

जो सदा-सर्वदा स्थिर भाव रखता है, वह आत्मा है।

जो मननशील और योग्य है, वह आत्मा है ।

जो सबको पवित्र करता है, वह आत्मा है ।

जो ज्ञान से पूर्ण भरा है, वह आत्मा है ।

जो जानने पर भव से पार कर देता है, वह आत्मा है ।

जो धर्म प्रिय है अर्थात् जिसे धर्म प्रिय है, वह आत्मा है जो समस्त जगत् की शोभा है, वह आत्मा है ।

जो, भक्तों का सदा हितकारी है, वह आत्मा है।

जो सदा सबकुछ जानता है, वह आत्मा है।

जो जल में डूब नहीं सकता, वह आत्मा है ।

जो वायु से सूख नहीं सकता, वह आत्मा है।

जो शास्त्र से कट नहीं सकता, वह आत्मा है ।

जो अजर-अमर है, वह आत्मा है ।

जो जन्म-मरण से रहित है, वह आत्मा है ।

जो भक्तों का श्रेष्ठ मित्र है, वह आत्मा है ।

जो सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ है, वह आत्मा है ।

जो बुद्धिमानों का परम पूजनीय है, वह आत्मा है ।

जो अभिमानी को प्राप्त नहीं होता, वह आत्मा है जो सच्चा और परम ज्ञानी है, वह आत्मा है ।

. जो सदा सदैव स्वस्थ रहता है, वह आत्मा है ।

जो अपनी महिमा में सदा स्थित है, वह आत्मा है ।

जो सत्य और धर्म से भरा हुआ है, वह आत्मा है ।

जो संसार का कारण - रूप परमात्मा है, वह आत्मा है जो प्रकृति, माया और पुरुष का ईश्वर है, वह आत्मा है ।

जो तम, रज और सत्व गुणों से परे है, वह आत्मा है ।

जो सबको फल प्रदान करता है, वह आत्मा है ।

जो सदा-सर्वदा स्थिर भाव रखता है, वह आत्मा है।

जो मननशील और योग्य है, वह आत्मा है ।

जो सबको पवित्र करता है, वह आत्मा है ।

जो ज्ञान से पूर्ण भरा है, वह आत्मा है ।

जो जानने पर भव से पार कर देता है, वह आत्मा है ।

जो धर्म प्रिय है अर्थात् जिसे धर्म प्रिय है, वह आत्मा है जो समस्त जगत् की शोभा है, वह आत्मा है ।

जो, भक्तों का सदा हितकारी है, वह आत्मा है।

जो सदा सबकुछ जानता है, वह आत्मा है।

जो जल में डूब नहीं सकता, वह आत्मा है ।

जो वायु से सूख नहीं सकता, वह आत्मा है।

जो शास्त्र से कट नहीं सकता, वह आत्मा है ।

जो अजर-अमर है, वह आत्मा है ।

जो जन्म-मरण से रहित है, वह आत्मा है ।

महात्मा बुद्ध की कहानियाँ

जो सर्व - प्रकाश का भी प्रकाश है, वह आत्मा है ।

जो सृष्टि और प्रलय करनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो प्रसन्न होकर सबकुछ देनेवाला है, वह आत्मा है ।

जो आनंद से लबालब भरा हुआ है, वह आत्मा है ।

जो भय और शोक से रहित है, वह आत्मा है ।

जो हित-अहित बनानेवाला है, वह आत्मा है ।

जो सबका सदा प्रेरक है, वह आत्मा है ।

जो समस्त विकारों का नाश करनेवाला है, वह आत्मा है।

जो शुद्ध आकाश रूप है, वह आत्मा है।

जो मृत्यु- धर्म से रहित है, वह आत्मा है ।

जो सहज ही जानने में नहीं आता है, वह आत्मा है ।

जो सर्व ज्ञान का भी ज्ञान है, वह आत्मा है ।

जो सर्व प्राणियों का अंतर्यामी है, वह आत्मा है ।

जो सबके दुःखों को हरता है, वह आत्मा है ।

जो सारे संसार का द्रष्टा है, वह आत्मा है ।

जो विचार से अनुभव में आता है, वह आत्मा है।

जो सबको ठीक-ठीक जानता है, वह आत्मा है।

जो सर्व शोक का नाश करता है, वह आत्मा है जो तीनों लोकों का आश्रय है, वह आत्मा है ।

जो सत् चित्त आनंद स्वरूप है, वह आत्मा है ।

जो सर्व शुभ कार्यों की शोभा है, वह आत्मा है ।

जो सत्य और धर्म से अनुभव में आता है, वह आत्मा है ।

जो हजारों में एक को मिलता है, वह आत्मा है ।

जो धर्मात्मा को तारने वाला है, वह आत्मा है ।

जो तीनों ताप से मुक्त करता है, वह आत्मा है ।

जो मन-इंद्रियों से जाना न जा सके, वह आत्मा है ।