जैसे कि बताया जा चुका है कि गोनू झा के कारनामों से उनके कुछ विरोधी भी पैदा हो गए थे।
यह विरोधी दाल, जिसका नेता घुरिया नाम का आदमी था, असल में वो चोर-उच्चकों की प्रवृत्ति का था।
मेहनत से जी चुराने वाले घुरिया ने गांव के आठ-दस आदमियों को अपने साथ इस गलत राह पर डाल दिया था।
कई कई प्रकार की बुरी आदतों का शिकार यह दल चोरी करने में बड़ा ही प्रवीण था।
एक बार गाँव में बरसात न हुई तो खेती का काम ढीला पड़ गया। लोग-बाग़ भगवान से मनौती मांग रहे थे कि बरसात हो।
आखिर बरसात हुई और जमकर हुई। अब तो किसान खेतों में जुट गए। एक साथ सबका काम शुरू हुआ तो मजदूरों का अकाल-सा पड़ गया।
मजदूरों ने भी मौका जानकार मजदूरी बढ़ा दी।
गोनू झा को भी अपने खेत की खुदाई करानी थी ताकि बीज बोया जा सके। पर मजदूरों तो ढूंढे न मिलते थे। जो मिलते थे वह इतना अधिक मांगते की चुप रह जाना पड़ता।
गोनू झा भी परेशान थे की कैसे खेत की खुदाई हो।
जमीन में अभी तो नमी थी। नमी जाने के बाद तो मुश्किल और बढ़ जाएगी। आखिर उन्होंने दिमाग का इस्तेमाल करने का विचार किया और जल्दी से अपने मित्र फेरन मिश्र के पास पहुंचे।
आओ गोनू झा। मिश्रा जी बड़े प्रसन्न हुए - कैसे याद आ गई।
आवश्यकता आ पड़ी और बिना आवश्यकता के कौन कहाँ जाता है। खेत खोदने को मजदूर नहीं मिल रहे। गोनू झा बोले।
अब भई हमसे तो कुदाल चलाई नहीं जाएगी वरना हम जरूर चलते। आप बस एक छोटा-सा काम कर दीजिए।
आदेश करो।
बस एक अफवाह फैला दीजिए कि गोनू झा की कुंडली के अनुसार उसे शीघ्र ही कोई गड़ा हुआ खजाना मिलने वाला है।
उससे क्या होगा ?
बस, फिर सब कुछ हो जाएगा। आपकी इतनी कृपा से ही सब सिद्ध हो जाएगा। यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।
गोनू झा धन्यवाद देकर अपने घर लौट आए।
मिश्रा जी ने अपना काम कर दिया। सारे गाँव में यह बात फ़ैल गई की शीघ्र ही गोनू झा को कोई गदा हुआ खजाना मिलने वाला है।
और उसी रात गोनू झा के घर से कुदाल चलने की आवाज आने लगी। चारों के मुखिया घुरिया ने भी यह अफवाह सुन ली थी। वह अपनी उत्कंठा न रोक पाया। उसने गोनू झा के घर से कुदालों के चलने की आवाजें सुनी तो चोरी छिपे जा पहुंचा। वह देखना चाहता था कि गोनू झा घर में खजाना मिलता है या नहीं। वह छुपा हुआ था।
आधी रात तक कुदाल चलने की आवाज आई बंद हो गई।
आप क्या कर रहे है ?
गोनू झा की पत्नी की आवाज आई। खजाना ढूंढ रहा हूँ। सारा घर खोद लिया पर कुछ नहीं मिला।
गोनू झा की हांफती आवाज आई - पर मिश्रा जी झूठ नहीं बोलते। खजाना तो अवश्य ही है पर कहाँ है घर में तो है नहीं।
खेतों में हो सकता है।
ये बात। अब आई बात समझ में। मेरी मां कहती भी थी कि हमारे खेत सोने की खान हैं। अब कल से वहीं बीस मजदूर लगाता हूँ।
देख लेना जल्दी ही खजाना हमारे हाथ लग जाएगा। तो अब आराम करो। घर तो आपने सारा खोद फेंका।
ठीक। सवेरे से काम शुरू करता हूँ।
घुरिया चोर समझ गया कि गोनू झा थक जाने के कारण खेत अभी नहीं खोद पा रहा वरना खजाना आज ही निकालने को आतुर था। आधी रात हो रही थी। घुरिया सीधा अपने मित्रों के पास पहुंचा और उन्हें जगाया। आज बड़े माल की खबर है और तुम सो रहे हो। घुरिया बोला। क्या खबर है ?
गोनू झा खजाना खोद रहा है। मिश्रा जी ने बताया है। झूठ तो है नहीं। गोनू झा बहुत चतुर आदमी है। वह आज अपने घर को खोद रहा है। अकारण तो वह घर खोदने वाला नहीं था।
यह बात तो है। वह बहुत होशियार आदमी है।
उसे घर में तो खजाना नहीं मिला। कल वह खेतों में मजदूर लगाकर खुदाई करेगा। उसकी माँ उसे संकेत करके भी गई है कि खजाना उसके खेत में ही है। घुरिया ने कहा।
गुरु फिर तो मजा आ जाएगा। गोनू झा खजाना अपने घर लाएगा और हम किसी रात उड़ा लेंगे। मूर्ख हुआ है। घुरिया बोला - हमें खजाना आज ही हड़पना होगा। आज! आज कहा मिला है गोनू झा को।
अबे अपने-अपने घर से कुदाल लेकर आओ। मेरे साथ चलो। अभी एक पहर रात है। हम आठ लोग हैं। जब तक गोनू झा जागकर खेत पर पहुंचेगा तब तक तो हम माल बटोर लेंगे।
यह अच्छा रहेगा गुरु। चोर मण्डली हर्षित हो उठी - सुबह गोनू झा का चेहरा देखने लायक होगा।
और तत्काल चोर मण्डली अपने -अपने घर से कुदाल लेकर आ गई और पहुंच गई गोनू झा के खेतों पर। उसके चेले खुदाई कर रहे थे।
तू यहाँ खोद और यहां खोद। घुरिया कह रहा था।
उत्साद, तुम भी तो कुछ करो। खजाना मिलते ही सबसे पहले आगे दौड़ोगे। एक दोस्त ने कहा।
घुरिया ने कुदाल सम्भाली और जुट गया। पौ फटने तक गोनू झा का सारा खेत खुदा पड़ा था। चोर मंडली पस्त होकर मेंड़ पर बैठी थी।
गुरु, कुछ भी हाथ नहीं लगा।
हाँ यार। घुरिया पस्त भाव से बोला - लगता है खजाना गहरा है।
गुरु चलो यहाँ से। कोई आ रहा है।
घुरिया ने देखा। गाँव की तरफ से कोई आ रहा था।
गोनू झा ही होगा। चैन से न सोया होगा। भागो।
थके-हारे सब भाग लिए। आने वाले गोनू झा ही थे। उन्होंने उन्हें भागते देख लिया था। गोनू झा मुस्कराए। खेत पर आए तो देखा कि उनकी तरकीब काम कर गई थी। खेत बिजाई के लिए तैयार हो गया था।
उन्होंने घर अपनी पत्नी को सारा किस्सा सुनाया तो हंस-हंसकर लोट-पोट हो गई। उसके पति ने मुफ्त के मजदूरों से काम करा लिया था।