जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण से मुझे यह बात समझ में आई कि हमारे अंदर
आत्मविश्वास और हिम्मत हो तो हम कया नहीं कर सकते । मैंने सीखा कि हमारे अंदर ना
कहने का साहस होना चाहिए । किसी व्यक्ति के गलत इरादों और छेड़छाड़ को सहन करके
हम उसे बढ़ावा ही देते हैं। इसलिए मैंने अपने आत्मविश्वास और हौसले से ऐसे ही एक
व्यक्ति को सबक सिखाने में सफलता हासिल की।
अब मैं किसी से डरती नहीं हूँ। गाँव
और कस्बे में बेखौफ निकलती हूँ।
अब मैं अपने जीवन को ज्यादा बेहतर और आत्म
विश्वासपूर्ण बनाने के लिए प्रयासरत हूँ।
' मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले की रेणुका के ये
उद्गार जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण से उसके जीवन में आएबदलाव को दर्शाते हैं।
रेणुका बुरहानपुर जिले के शहपुर गाँव के एक होस्टल में पढ़ती है।
होस्टल में प्रवेश
लेने के समय से ही वह बहुत डरी-सहमी रहती थी।
वह किसी के सामने बोलकर अपनी
बात भी नहीं रख पाती थी। इसी बीच उसे एक लड़का परेशान करने लगा।
इससे वह बहुत
डर गई। रेणुका जानती थी कि यदि यह बात उसने अपने माता-पिता को बताई तो वे उसकी
पढ़ाई छुड़वा देंगे। यह सोचकर वह बहुत चिंतित रहती थी।
रेणुका बताती है कि उसके जीवन में बदलाव की शुरुआत उस समय हुई जब उनके
होस्टल में जीवन कौशल की शिक्षा दी जाने लगी |
इसी दौरान उसका चयन किशोरी
बालिका क्षमता विकास परियोजना _ के अंतर्गत पियर एजुकेटर के रूप में हुआ और उसे
इंदौर में प्रशिक्षण लेने का अवसर मिला ।
रेणुका बताती है, मैंने इस प्रशिक्षण में
आत्मविश्वास बढ़ाने वाली कई बातें सीखीं।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा जीवन ही बदल
गया।'
इस प्रशिक्षण के बाद जब रेणुका गाँव पहुँची तो वहाँ वह लड़का फिर से उसे परेशान
करने लगा। पर इस बार वह उससे डरी नहीं, बल्कि उसने उसे सबक सिखाना ही उचित
समझा।
लड़के द्वारा छेड़े जाने पर रेणुका ने भरे बाजार में उसकी पिटाई शुरू कर दी।
उसे
देखकर वहाँ मौजूद अन्य लोगों और राहगीरों ने भी रेणुका का साथ दिया। इस घटना के
बाद रेणुका ने पूरी बात अपने माता-पिता को बताई । वह बताती है, 'पहले तो मेरे
माता-पिता को थोड़ा गुस्सा आया किन्तु चाचाजी के समझाने पर वे सामान्य हो गये।
कम
नम इस घटना के बाद रेणुका का आत्मविश्वास और बढ़ गया। अब वह अपने जीवन
को ज्यादा बेहतर और प्रगतिशील बनाने का सपना देखने लगी है और उसे साकार करने के
प्रयास भी करने लगी है ।