काबरवा गाँव की बालिकाएं अब शिक्षा से वंचित नहीं हैं। वे रोज स्कूल जाती हैं
और अपने भविष्य के सपने बुनती हैं। उनके माता-पिता भी अब उन्हें पूरी शिक्षा दिलवाना
चाहते हैं। धार जिले के गंधवानी ब्लॉक में यह बदलाव यहाँ की एक युवती बबीता
मंडलोई के प्रयासों से संभव हो पाया है।
करीब ढाई सौ परिवारों वाले काबरवा गाँव में ज्यादातर आदिवासी समुदाय के
लोग निवास करते हैं। लोगों की आजीविका का मुख्य साधन खेती और मजदूरी है।
कमजोर आर्थिक स्थिति और सामाजिक रूढ़ियों के कारण लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते
नहीं थे। किन्तु आज गाँव के लोग बबीता की तारीफ इस बात के लिए करते हैं कि उसने
उन्हें अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
बबीता के परिवार में दो बहनें और एक भाई है। सभी भाई-बहन पढ़ाई करते हैं।
बबीता के पिता खेती करते हैं। वे पंचायत सदस्य भी हैं। बबीता की माँ भी पिताजी का हाथ
बँंटाती है। शिक्षा की बात करें तो न तो पिता पढ़े लिखे हैं न माँ किन्तु बबीता की रुचि शुरू
से ही पढ़ाई में थी। बबीता पास के ही गाँव के बालिका छात्रावास में रहकर वीं कक्षा
उत्तीर्ण कर चुकी है।
बबीता को जब छात्रावास में जीवन कौशल की शिक्षा मिली तो उससे वह प्रेरित हुई
और सभी गतिविधियों में आगे बढ़कर भाग लेने लगी। जब उसने जीवन कौशल शिक्षा
प्रशिक्षण में भाग लिया तो उसे शिक्षा के महत्व का पता चला । उसने अपने गाँव में सभी
बालिकाओं को जीवन कौशल शिक्षा की जानकारी दी और बताया कि आगे पढ़ने से भविष्य
में कुछ बन सकते हैं और जीवन को बेहतर बनाने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं ।
ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय की जाने वाली गतिविधि सामाजिक जागरूकता
कार्यक्रम में बबीता ने गाँव की बालिकाओं को बुलावा दिया, किन्तु उनके माता-पिता उन्हें
आँगनवाड़ी नहीं आने दे रहे थे । बबीता ने अपने पिता की मदद से घर-घर जाकर उनके
माता-पिता को वहाँ होने वाली गतिविधियों से अवगत कराया तो बालिकाओं के साथ कुछ
के माता-पिता भी आए। बबीता के साहस को देखते हुए वे भी अपनी बेटियों को आगे
पढ़ाने के लिए तैयार हो गए और उन्होंने संकल्प लिया कि बालिकाओं को स्कूल भेजेंगे। इस
तरह बबीता के एक छोटे से प्रयास ने गाँव में जागरूकता ला दी । अब हर बालिका आगे
पढ़ना चाहती है और उनके माता-पिता भी उन्हें पढ़ाना चाहते हैं।
बबीता में यह साहस बालिका क्षमता विकास परियोजना ' के अंतर्गत दी जा रही
जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण से आया है। बबीता चाहती है कि सभी लड़कियाँ जीवन
कौशल शिक्षा प्राप्त करें और आगे बढ़े।