हायर सेकेण्डरी परीक्षा में बॉयोलाजी विषय में 75 प्रतिशत अंक लाने वाली
मंजुला अपने गाँव की अन्य बालिकाओं के लिए आदर्श बन गई है। धार जिले के कुक्षी
विकास खण्ड के ग्राम ढोलिया की बालिकाएं मंजुला से सिर्फ इसलिए प्रभावित नहीं हैं कि
उसने अच्छे अंकों से परीक्षा पास की, बल्कि इसलिए भी कि वह गाँव की अन्य
बालिकाओं को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती है।
ढोलिया गाँव में कुल मिलाकर 300 परिवार निवास करते हैं, जिनमें आदिवासी
समुदाय की संख्या सबसे ज्यादा है। यहाँ लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। ज्यादातर
लोगों के पास असिंचित कृषि भूमि है। अत: उन्हें अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए
रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता है। गाँव में ज्यादातर परिवारों के चार से पाँच
माह पलायन पर रहने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती थी और बच्चे अच्छी तरह पढ़ नहीं
पाते थे। इस परिस्थिति में बालिका मंजुला ने शिक्षा के प्रति रुचि और लगन का परिचय
दिया।
मंजुला के पिता खेती के साथ मजदूरी भी करते हैं | उसके माता-पिता को पढ़ाई
का अवसर नहीं मिला, किन्तु उसके दोनों भाई और दोनों बहनें शिक्षित हैं। मंजुला ने भी
पास के ही कस्बे कुक्षी के बालिका छात्रावास में रहकर 2वीं कक्षा उत्तीर्ण की। छात्रावास
में मंजुला ने किशोरी बालिका क्षमता विकास परियोजना ' के अंतर्गत जीवन कौशल
शिक्षा प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस प्रशिक्षण से मंजुला की पढ़ाई के प्रति और ज्यादा लगन
बढ़ी और वह अच्छी तरह मन लगाकर पढ़ाई करने लगी।
मंजुला जब भी गाँव जाती है, वह गाँव की अन्य किशोरी बालिकाओं को जीवन
कौशल शिक्षा के बरे में बताती है और उन्हें आगे पढ़ने के लिए भी प्रेरित करती है। मंजुला
अपने गाँव में हर माह आँगनवाड़ी भवन में आयोजित बैठक में शामिल होकर किशोरियों
को जागरूक करती है। वह गाँव के लोगों को भी शिक्षा के महत्व के बारे जागरूक करने का
प्रयास करती है। जीवन कौशल शिक्षा प्राप्त करने के बाद मंजुला चाहती है कि गाँव की सभी
बालिकाओं का भी आत्मविश्वास बढ़े और वे आत्मनिर्भर हो जाएं।
अब वह घर-घर जाकर ग्रामवासियों को जीवन कौशल शिक्षा के बारे में विस्तार से
बताती है। स्वयं में आए परिवर्तन के विषय में भी बताती है । यही सब देखते हुए ढोलिया
गाँव के लोग भी शिक्षा के प्रति प्रेरित हुए हैं । अब वे भी अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर
आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं।
बेटी पढ़ेगी,सुखी संसार रचेगी ।
बेटी पढ़ेगी, अपना भविष्य गढ़ेगी ।