“अन्याय और छेड़छाड़ पर चुप रहने के बजाय उससे जूझना जरूरी है" यह बात
उमा को जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण के दौरान समझ में आई। इसी सीख के कारण
उमाने छेड़छाड़ करने वालों से न सिर्फ खुद की सुरक्षा की, बल्कि ऐसे लोगों को सबक भी
सिखाया। बड़वानी जिले के राजपुर विकासखण्ड के ग्राम मोरगुन में आज ज्यादातर लोग
उमा की तारीफ करते हैं और छेड़छाड़ करने वालों को सबक सिखाने के मामले में उसका
उदाहरण भी देते हैं।
2000 की जनसंख्या वाले ग्राम मोरगुन में ज्यादातर भिलाला आदिवासी समुदाय
के लोग निवास करते हैं जिनका मुख्य व्यवसाय खेती है। ग्राम मोरगुन की रहने वाली
बालिका उमा बघेल कक्षा 0वीं की छात्रा है। उमा पढ़ाई में होशियार है और हर कार्य में
आगे बढ़कर भाग लेती है।
उमा के पिता 5वीं कक्षा उत्तीर्ण है और माता निरक्षर है। उमा के परिवार में सात
सदस्य हैं, जिसमें उमा और उसके माता-पिता के अलावा उसकी चार बहनें व एक भाई है।
सभी पढ़ाई कर रहे हैं। उमा पढ़ाई के साथ-साथ छात्रावास में प्रशिक्षित पियर एजुकेटर के
रूप में काम करते हुए छात्रावास की किशोरी बालिकाओं को जीवन कौशल की शिक्षा भी
देती है।
जीवन कौशल शिक्षा प्रशिक्षण से उमा का आत्मविश्वास और साहस बढ़ा ।
एक बार जब उमा अपने रिश्तेदार के यहाँ शादी में गई तो वहाँ उसे एक लड़के द्वारा परेशान
किया जाने लगा। चूंकि उसने जीवन कौशल शिक्षा में आत्मसम्मान व आत्मविश्वास के
बारे सीखा था, उसी से प्रेरित होकर उसने लड़के की हरकतों को उसके माता-पिता को
बताया और उसे कठोर शब्दों में चेतावनी दी। उमा के इस साहस से वहाँ उपस्थित लोगों ने
उसकी तारीफ की और उसका साथ दिया।
उमा जब अपने छात्रावास पहुँची तो उसने वहाँ भी दूसरी बालिकाओं को इस घटना
के बारे में बताया । उसने कहा छेड़छाड़ को सहना मतलब छेड़छाड़ को बढ़ावा देना है ।
इसलिए ऐसी घटनाओं का डटकर सामना करो, उन्हें मुँहतोड़ जवाब दो । इससे उन
बालिकाओं में भी हिम्मत आई। उन्होंने उमा की बात का अनुसरण करते हुए संकल्प लिया
किहम भी छेड़छाड़ को बिल्कुल सहन नहीं करेंगी और अन्याय के खिलाफ बुलंद आवाज
उठाएंगी।
अन्याय को अब हम नहीं सहेंगे ।
छेड़छाड़ का मुँहतोड़ जवाब देंगे ॥