किशोरी बालिका क्षमता विकास परियोजना में पियर एजुकेटर के रूप में सक्रिय
ग्राम ककराना की लसिया बालिका शिक्षा के लिए विशेष प्रयास कर रही है। आदिवासी
बहुल यह गाँव आलीराजपुर जिले के सोंडवा विकाखण्ड में स्थित है। ।000 की आबादी
वाले इस गाँव में ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं | वे खेती और मजदूरी करते हैं। कमजोर
आर्थिक स्थिति के कारण लोग अपनी बालिकाओं को स्कूल भेजने के बजाय मजदूरी
करने भेज देते थे । पियर एजुकेटर बनने के बाद लसिया इस स्थिति को बदलने के लिए |
लगातार कोशिश कर रही है। जा "
बालिका की शिक्षा के संदर्भ में लसिया का संघर्ष खुद की शिक्षा से ही शुरूहो गया |
था। उसके गाँव में स्कूल पाँचवीं कक्षा तक ही था। पाँचवीं कक्षा के बाद उसके माता-पिता |
उसे दूसरे गाँव में भेजकर पढ़ाना नहीं चाहते थे। जबकि लसिया आगे पढ़ना चाहती थी। वह
बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुई थी फिर भी माता-पिता चाहते थे कि वह घर के कामों में हाथ
बेंटाएऔर मजदूरी पर जाए ।
लसिया ने अपने माता-पिता को बहुत समझाया । बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया |
इस तरह उसने 5 किलोमीटर दूर स्थित गाँव के एक स्कूल में प्रवेश लेकर 8वीं कक्षा पास
की। लसिया की शिक्षा के प्रति रुचि इसी बात से साबित होती है कि स्कूल तक आने-जाने
का कोई साधन नहीं था पर वह हर रोज 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाती थी। 8 वीं
कक्षा पास करने के बाद लसिया ने सोंडवा गाँव के रमसा छात्रावास में प्रवेश लिया और
आज वह वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है।
छात्रावास में किशोरी बालिका क्षमता विकास परियोजना ” में उसका पियर
एजुकेटर के पद के लिए चयन हुआ जिसके अन्तर्गत उसने जीवन कौशल शिक्षा
प्रशिक्षण प्राप्त किया । इस प्रशिक्षण से लसिया की यह धारणा मजबूत हुई कि
बालिकाओं के सुखी जीवन और विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। अब तो लसिया ने
यह संकल्प ले लिया है कि वह अपने गाँव की हर बालिका को स्कूल में प्रवेश लेने लिए
प्रेरित करेगी।
गाँव की हर बालिका जब शाला जाएगी,
विकास के पथ पर आगे बढ़ती जाएगी ।
हर बेटी का है यह अधिकार,
सेहत, शिक्षा और लाड़-प्यार ।