12वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा पूजा गर्ल ऑईकान है । उसमें भरपूर
आत्मविश्वास है। वह अपने जीवन को ज्यादा बेहतर तथा प्रगतिशील बनाना चाहती है।
किन्तु पूजा सिर्फ खुद के जीवन के बारे में नहीं सोचती, बल्कि वह चाहती है कि गाँव की
सभी लड़कियाँ पढ़-लिखकर आगे बढ़ें और अपनी जिंदगी के फैसले खुद लें | यही कारण
है कि वह पियर एजुकेटर के रूप में सक्रिय है और गाँव की लड़कियों से जीवन कौशल पर
लगातार चर्चा करती रहती है।
पूजा अपने परिवार में भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। जब वह आठवीं कक्षा में थी
तो उसकी माँ का देहांत हो गया। इस परिस्थिति में छोटे भाई-बहनों को संभालने और घर के
काम-काज की जिम्मेदारी पूजा पर आ गई। वह बताती है 'रिश्तेदार और पास-पड़ोस के
लोग मुझे पढ़ाने के पक्ष में नहीं थे। उस समय घर पर जब भी कोई मेहमान आते तो वे कहते
थे कि अब यह बड़ी हो गई है। इसकी शादी कर दो । किन्तु पूजा पढ़ना चाहती थी। वह
बताती है, मेरे पिता ने मेरा साथ दिया, जिससे मैने पढ़ाई जारी रखी | आज मैं अपने परिवार
की पहली लड़की हूँ जो इतना पढ़ रही हूँ।'
पूजा ने अपनी पढ़ाई के लिए छात्रावास में प्रवेश लिया जहाँ उसे जीवन
कौशल शिक्षा प्रशिक्षण का अवसर मिला | पूजा बताती है कि इस प्रशिक्षण से मैंने
स्वयं में बहुत परिवर्तन महसूस किया। आज मैं एक गर्ल्स आइकॉन हूँ। मैंने कराते में जिला
और संभाग स्तर पर दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता है जिसका श्रेय मैं किशोर
बालिका क्षमता विकास परियोजना के अन्तर्गत आयोजित जीवन कौशल शिक्षा
प्रशिक्षण को देती हूँ।'
ते प्रतियोगिता |
कौशल को सुधारा, खुद को पहचाना और जीवन के विभिन्न उपयोगी पहलुओं के बारे में
जाना जो एक लड़की के जीवन के लिए उपयोगी हैं। मेरा सपना है कि मैं अपने से जुड़ी हर
किशोर बालिका को जीवन कौशल की शिक्षा दूँ।' वह आगे बताती है, आज मेरे पापा
सबसे बड़े गर्व से कहते हैं कि मेरी बेटी पढ़ रही है। यह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
मैं नौकरी करके घर चलाने में अपने पापा की मदद करूँगी।
बेटियों को कभी न समझें बेटों से कम
बेटियों को आगे बढ़ने के मौके दें हम ।