क्या सुख, क्या दुःख

एक खरगोश अपना सामान उठाकर खुशी-खुशी जा रहा था उसे रास्ते में एक हिरन मिला । हिरन ने कहा - क्या बात है खरगोश मियाँ, बड़े खुश नजर आ रहे हो ।

मेरी शादी हो गई है । खरगोश बोला । बड़े भाग्यशाली हो भाई, हिरन ने कहा ।

शायद नहीं, क्योंकि मेरी शादी एक बहुत ही घमंडी खरगोशनी से कर दी गई है ।

उसने मुझसे बड़ा घर, ढेर सारे पैसे और कपड़े माँगे, जो मेरे पास नहीं थे । खरगोश ने उत्तर दिया ।

बड़े दुःख की बात है न , हिरन ने धीरे से कहा ।

शायद नहीं, क्योंकि मैं उसे बहुत चाहता हूँ । इसीलिए मैं खुश हूँ कि वह मेरे साथ तो है । खरगोश बोला ।

वाह, बड़े भाग्यशाली हो भाई, हिरन खुश होकर बोला ।

शायद नहीं भैया, क्योंकि शादी के अगले ही दिन मेरे घर में आग लग गई, खरगोश ने कहा ।

अरे रे। ......बड़े दुःख की बात है, हिरन बोला ।

शायद नहीं, क्योंकि मैं अपना सामान बाहर निकाल लाया और उसे जलने से बचा लिया, खरगोश बोला ।

अच्छा बड़े भाग्यशाली हो भाई, हिरन ने लंबी साँस छोड़ते हुए कहा।

नहीं भाई, शायद नहीं, क्योंकि जब आग लगी तो मेरी पत्नी अंदर सो रही थी ।

खरगोश ने उदास स्वर में कहा । ओहो, ये तो बड़े दुःख की बात है, हिरन बोला ।

नहीं, नहीं बिलकुल नहीं, क्योंकि मैं आग में कूद पड़ा और अपनी प्यारी पत्नी को सही-सलामत बाहर निकाल लाया ।

और जानते है सबसे अच्छी बात क्या हुई । इस घटना से उनसे सीख लिया है कि सबसे प्यारी चीज है जिंदगी ।

पैसा, घर और कपड़े हों या न हों लेकिन आपस का प्यार होना बहुत जरूरी है! खरगोश ने मुस्कुराते हुए कहा ।