जब कभी दरबार में अकबर और बीरबल अकेले होते थे तो किसी न किसी बात पर बहस अवश्य छिड़ जाती थी।
एक दिन बादशाह अकबर बैंगन की सब्जी की खूब तारीफ कर रहे थे।
बीरबल भी बादशाह की हाँ में हाँ मिला रहे थे। इतना ही नहीं वह अपनी तरफ से भी दो-चार बातें बैंगन की तारीफ में कह देते थे।
अचानक एक दिन बैगन की सब्जी खाकर बादशाह के पेट में दर्द उठा तो वे बैंगन की बुराई करने लगे। बीरबल भी बैंगन को बुरा-भला कहने लगे।
आप ठीक कहते हैं, बैंगन बेकार सब्जी है।
यह सुनकर बादशाह क्रोधित हो उठे और बोले, बीरबल, जब हमने इसकी तारीफ की तो तुमने भी इसकी तारीफ की और जब हमने इसकी बुराई की तो तुमने भी इसकी बुराई की, आखिर ऐसा क्यों, तुम अपनी एक बात पर कायम क्यों नहीं हो ?
बीरबल ने नरम् लहजे में कहा, इसलिए कि मैं बैंगन का नहीं आपका नौकर हूँ।