पुरस्कार से अधिक अपनी ममता को दी वरीयता
नावें की विख्यात लेखिका थीं सिग्रिड अनसेट।
उनका लेखन अत्यंत उच्च स्तर का था।
नार्वे का साहित्य जगत् उन्हें बड़े सम्मान को दृष्टि से देखता था।
कोई भी साहित्यिक आयोजन सिग्रिड कौ उपस्थिति अथवा चर्चा के बिना संपन्न नहीं होता था।
जैसा कि सभी का विश्वास था, सिग्रिड को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई।
खबर फैलते ही अनेक पत्रकार सिग्रिड के घर उनका साक्षात्कार लेने पहुंच गए।
चूंकि घोषणा रात को हुई थी, इसलिए पत्रकार भी रात को सिग्रिड के घर आए।
सिग्रिड ने उनंका यथोचित सत्कार किया, किंतु उन्हें साक्षात्कार देने से मना कर दिया।
उन्होंने नम्नतापूर्वक कहा- “इतनी रात गए आप लोगों के आने की वजह मैं समझ सकती हूं, क्योंकि अभी-अभी मुझे नोबेल पुरस्कार दिए जाने की सूचना मिली है, कितु खेद है कि मैं अभी आपसे चर्चा करने की स्थिति में नहीं हूं।
' कारण पूछने पर वह बोलीं- 'क्योंकि यह मेरे बच्चे के सोने का समय है।
इस समय मैं उसे सुला रही हूं।
पुरस्कार पाने की खुशी में मैं अपने बच्चे की नींद खराब नहीं कर सकती।
' मां की ममता से अभिभूत सभी पत्रकार सिग्नमिड को नमन कर लौट गए।
सार यह है कि बच्चों का बचपन स्नेह, दुलार व ममत्व से भरा हो तो यह उनके समुचित विकास की दिशा में बड़ा सहायक होता है।
बच्चे की परवरिश को वरीयता दें तथा अनुशासन में रहकर उनकी समुचित देखभाल करें।
बच्चों को अधिक से अधिक समय देने पर आप उनकी हर आदत पर नजर रख सकेंगे तथा उनको अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित कर सकेंगे।