एक रोज सुबह-सुबह बादशाह ने अपने सेवक को हुक्म दिया, बुलाकर लाओ। आगे कुछ नहीं बताया। सेवक ने भी नहीं पूछा। उसका साहस भी नहीं हुआ। उसकी समझ में कुछ नहीं आया था कि वह किसे बुलाकर लाए।
उसने अपने सभी मित्रों से मदद माँगी, कोई भी नहीं बता सका कि वह किसे बुलाए।
अंत में वह बीरबल के पास पहुंच गया और जाते ही उनके पैरों में लेट गया और गिड़गिड़ाया, हुजूर मेरी मदद करो, मैं बड़े संकट में फंस गया हूँ।
बताओ तो बात क्या है ? बीरबल ने पूछा।
बात यह है हुजूर, बादशाह ने हुक्म दिया है कि जाओ बुलाकर लाओ।
मैं किसे बुलाकर ले जाऊँ, समझ में नहीं आता।
जिस समय हुक्म दिया था, वे क्या कर रहे थे ?
नहाने की तयारी में थे। सेवक ने बताया।
तो जाओ जल्दी से नाई को बुलाकर ले जाओ, वे हजामत बनवाना चाहते हैं।
सेवक नाई को बुलाकर ले गया। बादशाह बहुत खुश हुए। उन्होंने पूछा, किसने सलाह दी ?
तुम इतने चतुर नहीं हो। जी, यह सलाह बीरबल जी ने दी थी। वह डरते-डरते बोला।
बादशाह बड़े प्रसन्न हुए।