शिक्षा को विकास का आधार बताया
बहिणाबाई विख्यात महिला संत हुई हैं।
एक बार सुबह वे अपनी बगिया में पानी दे रही थीं, तभी चार विद्वान उनके पास आए।
विद्वानों ने उनसे कहा- 'हम एक जिज्ञासा लेकर आपके पास आए हैं।
हमने वेदों का अध्ययन किया तथा विभिन्न शाम्त्रों का भी ज्ञान अर्जित किया है, किंतु हम इनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
हम देश के विभिन क्षेत्रों में जाकर कार्य करना चाहते हैं, ताकि हर ओर विकास की गंगा प्रवाहित हो।
किंतु लक्ष्य को हासिल करने क॑ लिए क्या करें ?
नहीं समझ पा रहे हैं।' उनकी बात सुन कर बहिणाबाई ने चारों विद्वानों से उनके लक्ष्य के विषय में जानना चाहा।
पहले विद्वान ने कहा- “मैं देश में सबको सभ्य देखना चाहता हूं।
दूसरा बोला - मैं सबको सुखी व संपन्न बनाना चाहता हूं।
तीसरे ने कहा- “मैं सबको एकता के सूत्र में बांधना चाहता हूं।
चौथे ने कहा - मेरी इच्छा हे कि मेरा देश एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विकसित हो।'
बहिणाबाई ने कहा - “आप सब मिल कर शिक्षा का प्रसार करें।
सबको शिक्षित करें।' विद्वानों ने कहा- “मात्र शिक्षा के प्रसार से ये सारे लक्ष्य कैसे प्राप्त होंगे ?
तब बहिणाबाई ने समझाया - “शिक्षा से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
शिक्षित होने पर समाज सभ्य बनेगा।
शिक्षित होने पर उद्यमता विकसित होगी।
उद्यम से आय बढ़ेगी और देश आर्थिक रूप से सक्षम होगा।
आर्थिक सक्षमता से एकता स्थापित होगी और तभी राष्ट्र शक्ति-संपनन बनेगा।
वस्तुत: शिक्षा ऐसी नींव है, जिस पर ज्ञान, संस्कार और उद्यमिता का सुदृढ़ भवन खड़ा होता है।
शिक्षा ही सर्वागीण विकास का आधार है।