मन में पाया सभी प्रश्नों का समाधान
संत तिलोपा की ख्याति इस रूप में थी कि उनके पास सभी प्रश्नों के सटीक जवाब होते थे।
एक बार मौलुंक नाम का एक व्यक्ति उनके पास आया।
वह संत से बोला- “महात्मन, मेरा मन ईंधर-उधर भटकता रहता है, मन में कई तरह के सवाल आते रहते हें, कृष्या मुझे मेरे इन सवालों का जवाब दीजिए।
' संत ने कहा- "में तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगा, लेकिन तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।
' मौलुंक ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया। तब संत बोले- तुम्हें दो महीने तक मेरे पास बिल्कुल मौन होकर रहना पड़ेगा, जैसे मैं कहूं वेसे ईश्वर में ध्यान लगाना पड़ेगा।
इस दोरान तुम्हें कितना भी कष्ट हो, किन्तु तुम कुछ नहीं बोलोगे। इसके बाद मैं तुम्हारे सभी प्रश्नों के उत्तर दूंगा।
मौलुंक राजी हो गया। वह दो महीने तक संत के पास मौन अवस्था में रहा और इस दौरान संत के निर्देशानुसार ईश्वर में ध्यान लगाता रहा।
इन दो महीनों में उसके मन के भीतर शांति स्थापित होने लगी। मन के विचार-आवेग मंद पड़ गए।
दो महीनों के पश्चात् संत ने कहा- “अब तुम अपने सवाल पूछ सकते हो।
' मौलुंक ने संत के चरणों में झुककर कहा- “आपकी कृपा से मैं जान गया हूं कि शांतचित्त मन में सब सवालों के जवाब छिपे हुए हैं।
अब मुझे मेरे सभी सवालों का जवाब मिल गया है।
कथा सार यह हे कि मानव मन में उसकी सभी जिज्ञासाओं का समाधान मौजूद है।
किंतु मन से समाधान पाने के लिए आपको शांतचित्त होकर सोचना होगा।
अगर आप शांतचित्त होकर अपनी समस्याओं के समाधान के बारे में सोचेंगे तो आपको आपके मन से कोई न कोई समाधान अवश्य मिलेगा।
हम जिंदगी के कई फैसले जल्दबाजी में ले लेते हैं जिनके लिए हमें बाद में पछताना पड़ता है।
अगर हम अपनी जिंदगी के अहम फैसले शांतचित्त होकर लेंगे तो सकारात्मक परिणाम आएंगे।