जंगल में एक हिरण का बच्चा घास चर रहा था।
अचानक वहां एक बाघ आ धमका।
हिरण का बच्चा जान बचाने के लिए बरगद की जड़ के नीचे घुस गया। उसे पकड़ने के लिए बाघ भी जड़ के नीचे घुसने लगा।
हिरण का बच्चा तो वहां से भाग गया, किंतु बाघ जडों के बीच में उलझ गया। उसी समय एक किसान वहां से गुजरा।
बाघ ने उसे जड़ से निकालने की प्रार्थना की। किसान ने कहा- में तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।
तुम विश्वास करने योग्य नहीं हो। तुम आजाद होकर मुझे ही मार डालोगे।
मैं तो अपने रास्ते जा रहा हूं। तुम इस उलझन से स्वयं प्रयास करके निकल सकते हो।” बाघ ने फिर प्रार्थाना की- “मैं तुम्हें आश्वासन देता हूं कि मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाउंगा।
कृप्या मुझे यहां से बाहर निकालो।' किसान ने गंभीर सोच विचार किया और फिर उसने जड़ों का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के बाद किसान ने कहा- “तुम विश्वास करने योग्य तो नहीं हो, किंतु मनुष्य होने के नाते मेरा फर्ज है कि मैं मुसीबत में पडे प्राणी की मदद करूं।
में तुम्हें इन जड़ों से निकलने का तरीका बता देता हूं। तुम स्वयं प्रयास कर निकल जाना।
किसान ने उसे निकलने का तरीका बताया और दूर जाकर एक पेड़ के पास खड़ा हो गया।
बाघ प्रयास कर थोड़ी देर में उस उलझन से निकल आया। बाघ ने किसान से कहा- 'हे मनुष्य, दूर क्यों खड़े हो ?
मेरे पास आओ।' किसान बोला- 'तुम आजाद हो गए हो, अब तुम अपने रास्ते जाओ और मैं अपने रास्ते जाता हूं।
अचानक बाघ के तेवर बदल गए और बोला- “मैं कल से भूखा हूं।
मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख शांत करूंगा।' बाघ हमला करने की मुद्रा में आया तो किसान अपनी जान बचाने के लिए तेजी से पेड़ पर चढ़ गया।
बाघ पेड के नीचे आकर खडा हो गया। पेड पर चढ़कर किसान बोला- “मुझे पता था तुम विश्वासघात करोगे।
इसी बीच उधर से एक लोमडी गुजरी । उसने किसान से पूछा- “पेड़ पर क्यों चढ़े हो ?' किसान ने सारी बात बताई।
किसान की बात सुनकर लोमड़ी बोली- 'अरे मूर्ख! यह हमारे जंगल के राजा हैं। एक बरगद की जड़ में राजा फंस ही नहीं सकते।
तुम झूठ बोल रहे हो कि तुमने इन्हें बचाया है।'
किसान के बहुत कहने पर लोमड़ी बोली- “यदि तुम सही हो, तो एक बार फिर देखते हैं कि राजा साहब कैसे फंसे थे ?' बाघ भी घमंड में आकर मान गया।
वह बरगद की जड़ों के बीच चला गया। लोमड़ी ने फौरन किसान से कहा- 'इसे अब जड़ों से बाहर निकलने में कुछ समय लगेगा, अब तुम तेजी से भागो और यहां से दूर निकल जाओ।
किसान पेड़ से कूदा और तुरंत तेजी से भागा और दूर निकल गया। सार यह है कि जो सदा से बदनाम और विश्वासघाती रहे हों, उन पर विश्वास करना ज्यादातर मौकों पर ठीक नहीं होता।
इंसान को अपने जीवन में विश्वासघाती और बदनाम छवि वाले लोगों से बचना चाहिए। विश्वास उन्हीं पर करना चाहिए, जो साफ छवि के हों और भरोसेमंद हों।