बोलने वाली गुफा

एक जंगल मे एक शेर रहता था।

एक दिन वह आराम करने के लिए जगह तलाश कर रहा था कि उसे एक बड़ी गुफा दिखाई दी।

शेर ने अंदर देखा उसे कोई नहीं दिखा। शेर को लग तो रहा था कि कोई तो इस गुफा में अवश्य रहता है, लेकिन उसे वह गुफा इतनी पसंद आई कि उसका मन उसी में रहने का करने लगा।

वह गुफा एक सियार की थी। थोड़ी ही देर में शाम हो गई और सियार अपनी गुफा में आ गया। गुफा के बाहर उसे शेर के पैरों के निशाना दिखाई दिए।

सियार बहुत होशियार था। वह सतर्क हो गया। वह शेर का शिकार नहीं बनना चाहता था। गुफा में शेर है या नहीं, यह पता करने के लिए सियार ने एक चाल चली।

वह जोर से चिल्लाया, ओ गुफा! अगर तुमने रोज की तरह मुझसे बात नहीं की तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।

शेर ने सियार की आवाज सुनी तो उसके मन में लालच आ गया। उसने गुफा के बदले जवाब देने का निश्चय किया। उसने दहाड़ मार दी। शेर की दहाड़ सुनकर चतुर सियार समझ गया और जान बचाकर भाग गया।