बहुत समय पहले की बात है, एक भारी किंग कोबरा एक घने जंगल में रहता था। वह रात में शिकार करता था और दिन में सोता रहता था।
धीरे-धीरे वह काफी मोटा हो गया और पेड़ के जिस बिल में वह रहता था वह उसे छोटा पड़ने लगा। वह किसी दूसरे पेड़ की तलाश में निकल पड़ा।
आखिरकार, कोबरा ने एक बड़े पेड़ पर अपना घर बनाने का निश्चय किया, लेकिन उस पेड़ के तने के नीचे चीटिंयाँ की एक बड़ी बाँबी थी, जिसमें बहुत सारी चीटिंयाँ रहती थी।
वह गुस्से में फनफनाता हुआ बाँबी के पास गया और चीटिंयाँ को डाँटकर बोला, मैं इस जंगल का राजा हूँ।
मैं नहीं चाहता कि तुम लोग मेरे आस-पास रहो। मेरा आदेश है कि तुम लोग अभी अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह तलाश लो। अन्यथा सब मरने के लिए तैयार हो जाओ।
चीटिंयाँ में काफी एकता थी। वे कोबरा से बिलकुल भी नहीं डरी। देखते ही देखते हजारों चीटिंयाँ बाँबी से बाहर निकल आईं। देखते ही देखते हजारों चीटिंयाँ बाँबी से बाहर निकल आईं।
सबने मिलकर कोबरे पर हमला बोल दिया। उसके पूरे शरीर पर चीटिंयाँ रेंग-रेंगकर काटने लगी! दुष्ट कोबरा दर्द के मारे चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गया।