एक धोबी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। एक दिन धोबी ने कपड़ों की भारी पोटली गधे की पीठ पर लाद दी। घोड़े के ऊपर कुछ नहीं लादा।
गधे के ऊपर लदा बोझा काफी भारी था। उसने घोड़े से अनुरोध किया, भाई! मैं इस बोझ के मारे मरा जा रहा हूँ। कुछ बोझा अपने ऊपर ले लो।
घोड़े ने साफ इन्कार कर दिया, मैं क्यों तुम्हारा बोझा लादूँ ? घोड़े तो सवारी के लिए होते हैं , बोझा ढोने के लिए नहीं।
गधा चलता रहा। कुछ देर बाद गधा बोझा नहीं सह पाया और गिर पड़ा। अब धोबी को अपनी गलती समझ में आई। उसने गधे को पानी पिलाया और सारा बोझा घोड़े के ऊपर लाद दिया।
अब घोड़ा पछताने लगा। वह सोचने लगा, अगर मैंने गधे की बात मानकर उसका आधा बोझा अपनी पीठ पर ले लिया होता , तो मुझे पूरा बोझा लादकर बाजार तक इस तरह नहीं जाना पड़ता।