एक दिन एक भेड़िया को जंगल में बैल का गोश्त पड़ा मिला। उसने ललचाकर जल्दी से गोश्त खाना शुरू कर दिया। हड्डी का एक टुकड़ा उसके गले में फंस गया। उसे साँस लेने तक में मुश्किल होने लगी।
भेड़िया को याद आया कि पास ही एक सारस रहता है। भेड़िया सारस के पास गया उससे सहायता मांगने लगा। भेड़िया ने सारस को इनाम देने का भी वादा किया।
सारस को भी उस पर दया आ गई। वह भेड़िया की सहायता करने को तैयार हो गया। भेड़िए ने अपना मुहँ पूरा खोल दिया और सारस ने आसानी से उसके गले में फंसी हड्डी अपनी लंबी चोंच से बाहर निकाल दी।
इसके बाद सारस ने भेड़िए को उसका वादा याद दिलाते हुए उससे अपना इनाम माँगा।
कैसा इनाम ? भेड़िया मुकर गया। जब तुमने अपनी चोंच मेरे मुहं में डाली थी, तब मैं चाहता तो तुम्हें तभी खा जाता। तुम्हें तो मेरा आभारी होना चाहिए की मैंने तुम्हें जिन्दा छोड़ दिया।
सारस कोई जवाब देता, उसके पहले ही स्वार्थी भेड़िया वहां से भाग चूका था।