चुप्प सबसे भली

एक दिन बादशाह को नई तरंग सूझी, उसने बीरबल को तुरंत आज्ञा दी, 'बीरबल एक ऐसा आदमी खोजकर लाओ, जो सौ स्थानों का सरताज हो।'

बीरबल भला किसी बात से कब हताश होने वाला था, उसने झट उत्तर दिया, 'जहाँपनाह!

यथाशीघ्र हाजिर करूँगा, परंतु इस काम में दस हजार मोहरों की आवश्यकता हे।'

बादशाह की आज्ञा से बीरबल को तत्काल दस हजार मोहरों की थली दे दी गई।

बीरबल मोहरों को लेकर अपने घर चला गया।

थैली घर पर रखकर खुद सौ स्थानों के एक सयाने की खोज में शहर की गलियाँ छानने लगा।

कहावत प्रसिद्ध है, 'जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ।' दहात में उसे एक अहीर मिला।

बीरबल ने उसे अपने पास बुलाकर समझाया, “देखो, यदि तुम मेरे कहने के अनुसार करोगे तो मैं तुम्हें एक सो मोहरें इनाम में दूँगा।

भला वह क्‍यों मना करता। बेचारे ने इतनी बड़ी रकम आज तक नहीं दखी थी। उसे अपने अनुकूल समझकर बीरबल ने कहा, 'देखो, मेरे साथ तुम्हें बादशाह के पास चलना होगा, यदि बादशाह तुमसे कुछ पूछें तो एकदम चुप रह जाना!

वह बोला, 'बहुत अच्छा, ऐसा ही करूँगा।'

बीरबल उस अहीर को अच्छे वस्त्र पहनाकर शाही दरबार में ले गया और बादशाह के समक्ष खड़ा होकर बोला, 'जहाँपनाह! आपकी आज्ञानुसार सयाना व्यक्ति हाजिर है, उसकी परीक्षा कर लें।'

बादशाह ने उसे अपने पास बुलाकर प्रश्न किया, 'तुम कहाँ रहते हो ? तुम्हारे माता-पिता तुमको किस नाम से पुकारते हैं ? कौन-सी विशेष बात जानते हो ?'

बादशाह ने बारी-बारी से इसी प्रकार अनेक प्रश्न किए परंतु उसे तो बीरबल ने पहले से ही समझा दिया था। उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

अब बीरबल ने बात सम्हाली। वह बोला, 'जहाँपनाह! आपके पूछने का इस आदमी ने यह अर्थ निकाला है कि न जाने बादशाह यह सब बातें पूछकर क्या करेंगे, क्योंकि ऐसी कहावत उसे पहले ही याद है, 'राजा योगी अग्नि जल, इनकी उल्टी रीति।

डरते रहियो भाइयो, बड़ी न करियो प्रीति।

इसलिए इसने मौन धारण कर लिया है। आपने सुना होगा, चुप सबसे भला।

बादशाह को बीरबल की शिक्षा से आनंद प्राप्त हुआ और अहीर को घर जाने की छुट्टी मिल गई।