अकबर ने एक दिन प्रश्न किया, दुनिया में अंधे अधिक हैं या आँखों वाले ?'
अंधे।' बीरबल ने उत्तर दिया।
' क्या बात करते हो? दुनिया में अंधे ज्यादा होते तो कोई भी काम नहीं चलता।'
“चलता रहता है, काम भी चलता रहता है फिर भी अंधों की संख्या ज्यादा है।'
'सिद्ध करो।'
बीरबल ने चुनोती स्वीकार कर ली।एक दिन वह सार्वजनिक स्थान पर पुस्तक पढ़ने बेठ गए। उन्होंने अपने पास एक कागज और कलम रख लिया।
उनके पास जो भी आता, यही पूछता, 'आप यह क्या कर रहे हो?' बीरबल उसी का नाम सूची में लिख लेते। बादशाह भी आए। उन्होंने भी पूछा। बीरबल ने उनका नाम भी अंधों की सूची में लिख दिया।
अगले दिन बीरबल ने नामों की वह सूची बादशाह को दी, जिसमें सभी अंधों के नाम लिखे गए थे।
अंधों की सूची में अपना नाम देखकर बादशाह ने पूछा, “तुमने मेरा नाम भी लिखा है। ऐसा क्यों किया ?
क्या में अंधा हूँ?' इस पर बीरबल ने उत्तर दिया, 'यह सूची कल ही बनाई थी, जब मैं पुस्तक पढ़ रहा था।'
फिर!
कल सभी मिले। आप भी मिले। आपने भी अन्य लोगों की तरह पूछा कि क्या कर रहे हो ? जबकि दिखाई दे रहा था कि मैं पुस्तक पढ़ रहा था।' बीरबल ने बताया।
बादशाह मुस्कुरा दिए। उन्होंने स्वीकार किया, 'बीरबल, तुमने सिद्ध कर दिया कि अंधे अधिक हैं।'
'जी हाँ, जिनके आँखें नहीं हैं, वे तो अंधे होते ही हैं। लेकिन आँखों वालों में भी अधिकांश ऐसे होते हैं जैसे इस सूची में हैं।