न काले, न गोरे

बादशाह सलामत ने एक दिन मजाक किया, 'तुम न तो गोरे हो बीरबल और न तुम्हें कालों में ही गिना जा सकता है।

तुम्हारा रंग पक्का है। न काला, न गोरा। तुम बीच वाले माने जाओगे।'

'हाँ।' बीरबल ने कहा।

'जानते हो बीच का दर्जा ? जो न नर होता है, नर न मादा। जैसे खोजा बीच वाला होता है।' कहकर बादशाह ने ठहाका लगा दिया।

बीरबल ने बिना विचलित हुए कहा, 'हुजूर, आप कारण नहीं जानते। असलियत का पता आपको नहीं, मुझे हे।'

“बताओ, क्‍या है असलियत ? '

“में न तो अधिक गोरा ही हूँ और न अधिक काला हूँ।

आप जानना चाहते हैं तो बताता हूँ।

बात यह है कि भगवान या खुदा ने तीन रोटियाँ पकाई थीं।

एक जल गई, दूसरी कच्ची रह गई और तीसरी सही सिकी थी। न जली न कच्ची रही थी।

जो लोग बहुत काले हैं, वे जली हुई रोटियाँ हें।'

बादशाह निरुत्तर रह गए।