बीरबल की योग्यता की परीक्षा के लिए बादशाह तरह-तरह के प्रश्न तो करते ही थे,
कभी-कभी तो बड़ी अजीब हरकतें और तमाशा भी कर बैठते थे।
बीरबल के उत्तर भी अनोखे होते थे।
एक बार अकबर ने एक बकरी बीरबल को दी और से कहा,
'बीरबल, हम तुम्हें यह बकरी दे रहे हैं। इसका वजन तुलवा लो।
यह वजन न तो घटना चाहिए और न बढ़ना चाहिए, जबकि इसे खुराक पूरी दी जाएगी।'
बीरबल सोच में डूब गया।
फिर भी उनका दिमाग तेजी से काम कर रहा था।
उन्होंने बकरी को रख लिया।
बकरी को पूरा खाना दिया जाता था। उसकी सारी सुविधाओं का ध्यान रखा जाता था।
दिन गुजरते जा रहे थे।
एक महीने बाद बादशाह ने पूछा, 'वह बकरी ठीक है ना ?' 'जी हाँ ।'
'वजन ?'
'जी उतना ही है।'
'बढ़ा तो नहीं ?'
'जी नहीं।'
भूखी रही होगी। वजन घटा जरूर होगा।'
'जी नहीं, पूरा खाना मिला है, वैसी ही स्वस्थ है। वजन भी उतना ही है।'
बीरबल ने बकरी मँगवा दी। बकरी को तोला गया। उसका वजन भी वही था, जो एक महीने पहले था।
बादशाह को बड़ा अचंभा हुआ। उन्होंने यह पता लगा लिया था कि बकरी को खुराक पूरी दी जा रही थी।
बकरी भूखी नहीं रहती थी। फिर भी बकरी का वजन नहीं बढ़ा था।
उन्होंने बीरबल से पूछा, 'क्या कारण है कि बकरी का वजन न घटा, न बढ़ा ?'
बीरबल बोले, 'कोई विशेष बात नहीं है जहाँपनाह! सारे दिन बकरी को खिलाता-पिलाता था।
रात को एक घंटे के लिए शेर के सामने खड़ा कर देता था।
वह भय से काँपती थी और डर के मारे वह पनपती नहीं थी।'
बादशाह बहुत खुश हुए।