एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा,
'क्या तुम हमें तीन तरह की खूबियाँ एक ही आदमी में दिखा सकते हो ?'
बीरबल ने उत्तर दिया, 'जी हुजूर, पहली तोते की, दूसरी शेर की और तीसरी गधे की।
परंतु आज नहीं, बादशाह ने कहा, 'ठीक है, तुम्हें कल तक का समय दिया जाता है।
लेकिन कल के बाद नहीं।' अगले दिन दरबार में एक व्यक्ति को पालकी में डालकर लाया गया।
बीरबल ने उसे पालकी से बाहर निकाला।
बाहर निकालकर उस आदमी को एक पैग शराब का दिया गया।
एक पैग शराब पीकर वह आदमी डरकर बादशाह से विनती करने लगा, 'हुजूर, मुझे माफ कर दीजिए।
मैं एक बहुत गरीब आदमी हूँ।'
बीरबल ने बादशाह को बताया कि यह तोते की बोली है।
कुछ देर बाद उस आदमी को एक पैग और दिया गया।
नशे की स्थिति में वह बादशाह से बोला, 'अरे जाओ, तुम यहाँ के बादशाह हो तो क्या बड़ी बात है।
हम भी अपने घर के बादशाह हैं। जाओ-जाओ, हमें ज्यादा नखरे न दिखाओ।'
बीरबल ने बताया कि 'यह शेर की बोली है।'
कुछ देर के बाद उस आदमी को एक पैग और दिया गया तो वह नशे में एक ओर गिर गया।
बीरबल ने उसे एक लात लगाते हुए बादशाह से कहा, 'हुजूर, यह गधे की बोली है।'
बादशाह इससे बहुत खुश हुए और उन्होंने बीरबल को बहुत-सा इनाम देकर विदा किया।