कृतघ्न शेर

Kritaghn Sher Panchatantra Ki Khani - कृतघ्न शेर पंचतंत्र की कहानी

एक बार एक शेर पिंजरे में फंस गया।

उसने निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

तभी, उसे बगल के रास्ते से गुजरता हुआ एक आदमी दिखा।

शेर ने उससे सहायता माँगी और वादा किया कि वह बाहर निकलने पर उसे नहीं खाएगा।

शेर की बात पर विश्वास कर, उस आदमी ने पिंजरा खोल दिया।

शेर बाहर आ गया लेकिन बाहर आते ही वह अपना वादा भूल गया।

अब वह उस आदमी को खाना चाहता था!

वह आदमी घबरा गया और अपनी जान बचाने का तरीका सोचने लगा।

उसने सुझाव रखा कि वे अपने मामले को सुलझाने के लिए किसी की सहायता लेते हैं।

वहीं से निकल रहे एक सियार से उन दोनों ने फैसला करने का अनुरोध किया।

सियार बहुत चतुर था। उसने कहा कि जो-जो हुआ, वह सब उसके सामने फिर से करके दिखाओ।

शेर फिर से पिंजरे में घुस गया और सियार के कहे अनुसार, उस आदमी ने जल्दी से पिंजरा बंद कर दिया और उस पर ताला लगा दिया!

इसके बाद वह आदमी और वह सियार, दोनों वहाँ से भाग निकले और कृतघ्न शेर फिर से पिंजरे में बंद रह गया।