आकाश मायूस बैठा था। उसे व्यापर में बहुत नुकसान हुआ था। बैंक से भी उसने कर्ज ले रखा था, लेकिन नुकसान की वजह से वह क़िस्त चुकाने की स्थिति में नहीं था।
उसे डर लग रहा था कि बैंक वाले दबाव बनाने लगेंगे तो वह क्या करेगा। उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि आगे कौन सा काम शुरू करें।
जिस बिजनेस में नुकसान हुआ था उसे दोबारा शुरू करने की हिम्मत आकाश में नहीं थी।
यही सब सोच कर वह परेशान रहने लगा। एक दिन उसका दोस्त परेश उससे मिलने आया। परेश ने आकाश को देखते ही कहा - क्या बात है यार, बहुत परेशान लग रहे हो।
आकाश ने अपनी परेशानी छुपाने की कोशिश करते हुए कहा - कुछ नहीं यार, बिजनेस में थोड़ा उतर-चढ़ाव आता रहता है।
परेश ने कहा - तुम्हारा चेहरा बता रहा है कि मामला गंभीर है। मुझसे छुपाओ नहीं। परेश की बात सुनकर आकाश ने उसे अपनी सारी कहानी बता दी।
इसके बाद उसने पूछा मेरी जगह तुम होते तो क्या करते ?
परेश ने थोड़ा सोचने के बाद कहा - अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो अपनी असफलता पर पछतावा नहीं करता।
आगे क्या करना है, उसपर विचार करता।
पछतावा करते रहने से आदमी नुकसान से दुःख से बाहर नहीं निकल पता है।
मेरी मानो तो तुम नए सिरे से अपने बिजनेस को खड़ा करने की सोचो।
मित्र की सलाह के बाद आकाश ने कहा - तुम बात तो ठीक कह रहे हो, लेकिन मुझमें फिर से वही बिजनेस शुरू करने की हिम्मत नहीं है।
इस पर परेश ने कहा - यह सही है की तुम्हें नुकसान हुआ है लेकिन तुम्हें तजुर्बा भी मिला है। अगर तुम कुछ नया शुरू करने की योजना बनाते हो तो तुम्हें शून्य से शुरू करना होगा।
अगर तुम अपने पुराने काम को नए सिरे से शुरू करते हो तो तुम्हें बहुत ज्यादा होमवर्क करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मेरी राय में तुम्हें नुकसान का मातम नहीं मामना चाहिए। काम को नए सिरे से शुरू करने की प्लानिंग करनी चाहिए।
जितना ज्यादा नुकसान के बारे में सोचोगे उतना अधिक तुम अपनी सफलता से दूर होते जाओगे।